गृहयुद्ध के बीच में कला के लिए यमन के लोगों का संघर्ष
५ सितम्बर २०१९Yemenis' struggle to make art
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भारत की ओर से छेड़े गए बड़े बचाव अभियान
इतिहास में ऐसे कई मौके आए जब मुल्कों ने आपसी मतभेदों को भुलाकर एक-दूसरे के लिए हाथ बढ़ाए और मदद की. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने भी कई ऐसे मदद और बचाव ऑपरेशन देश के भीतर और बाहर चलाए.
खाड़ी युद्ध
साल 1990-91 के खाड़ी युद्ध के दौरान कुवैत में करीब 1.70 लाख भारतीय फंस गए थे. ये वही समय था जब सद्दाम हुसैन के आदेश पर ईरान ने कुवैत के खिलाफ युद्ध छेड़ा था. इस युद्ध में कई लाख लोग बेघर हो गए थे और कई मारे गए थे. इस दौरान करीब 1.11 लाख लोगों को एयर इंडिया की मदद से निकाला गया था.
ऑपरेशन मैत्री
साल 2015 के दौरान नेपाल में आए भूकंप में करीब 8 हजार लोग मारे गए थे और तकरीबन 21 हजार घायल हुए थे. पड़ोसी देश होने के नाते भारत ने तुरंत ऑपरेशन मैत्री लॉन्च किया और बचाव कार्य में हाथ बंटाना शुरू किया. भारतीय सेना ने प्रभावित इलाकों से करीब 43 हजार भारतीय और कई सौ विदेशियों की जान बचाई. इसके साथ ही कई विदेशियों को ट्रांजिट वीजा भी दिया.
ऑपरेशन राहत
2015 में सऊदी अरब के यमन पर हमले के बाद भारत ने यह ऑपरेशन वहां फंसे भारतीयों और विदेशियों को बाहर निकालने के लिए शुरू किया. भारतीय सेना ने यमन से अपने चार हजार से ज्यादा नागरिकों समेत 41 देशों के 960 विदेशियों को भी बाहर निकाला. इस राहत अभियान के लिए भारत ने अपने पांच जहाजों और चार विमानों को तैनात किया. (प्रतीकात्मक चित्र)
ऑपरेशन सेफ-कमिंग
2006 में इस्राएल और हिजबुल्ला के बीच पैदा हुए विवाद के चलते कई सौ विदेशियों को लेबनान के पास पकड़ लिया गया. उस वक्त भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका और नेपाल ने भारत सरकार से उनके नागरिकों को बाहर निकालने में मदद देने की अपील की. यह भारतीय नौसेना के सबसे बड़े बचाव अभियान में से एक था. इसमें 2280 लोगों को बचाया गया.
ऑपरेशन सुकून
2011 में लीबिया में छिड़े गृहयुद्ध के दौरान कई भारतीय भी वहां फंस गए थे. 18 हजार भारतीयों समेत कई विदेशियों को वहां से निकालना सरकार के लिए बड़ी चुनौती थी. लेकिन भारतीय नौसेना और एयर इंडिया के संयुक्त अभियान की मदद से मार्च 2011 तक करीब 15 हजार भारतीयों को वहां से निकाल लिया गया.
ऑपरेशन सूर्य होप
2013 में उत्तराखंड में हुई बेमौसम बारिश और बादल फटने की घटना ने प्रदेश के कई इलाको में बाढ़ और भूस्खलन जैसे हालात पैदा कर दिए. इस दौरान भारतीय सेना ने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल और नेशनल डिफेंस रिस्पांस फोर्स (एनआरडीएफ) के साथ ऑपरेशन गंगा प्रहार (सूर्य होप इसका नया नाम) लॉन्च किया. यहां करीब 10 लाख लोगों को 12 दिनों के भीतर निकाला गया.
चक्रवात फेलिन
2013 में ओडिशा और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में आए चक्रवात फेलिन से निपटने के लिए बचाव एजेंसियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी. स्थानीय प्रशासन ने भारतीय वायु सेना, आईटीबीपी और एनआरडीएफ के साथ मिलकर बचाव ऑपरेशन लॉन्च किया. इसमें तीन दिन के भीतर करीब 8.5 लाख लोगों को बाहर निकाल लिया गया.