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मधुमक्खी पालकों पर जलवायु परिवर्तन का दंश

२१ जून २०२१

यमन के मधुमक्खी पालकों पर जलवायु परिवर्तन की मार तेजी से पड़ रही है. उत्पादन तो कम हो रहा साथ ही साथ वे इस सालों पुराने पेशे से पीछे हटने को मजबूर हो रहे हैं. सिद्र शहद का उत्पादन भी कम होता जा रहा है.

तस्वीर: AFP/I. Ocon

दक्षिणी यमन की उबड़-खाबड़ सड़कों पर कई दिनों तक गाड़ी चलाने के बाद, रदवान हिजाम आखिरकार आदर्श स्थान पर पहुंच गए, जहां उन्हें उम्मीद थी कि उनकी मधुमक्खियां सिद्र के पेड़ों के फूलों से रस चूस सकेंगी. दुनिया भर में सिद्र के पेड़ों वाले शहद मशहूर हैं. लेकिन हिजाम यहां बहुत देर से पहुंचे हैं. बेमौसम बारिश का मतलब था कि सिद्र के पेड़ों पर जल्दी फूल आ गए थे और उनकी पीली पंखुड़ियां हिजाम के आने से बहुत पहले गिर गई थीं. इस कारण से उनकी मधुमक्खियां भूखी रह गईं. सिद्र शहद से होने वाली आमदनी इस साल गिर गई. हिजाम इसका दोष जलवायु परिवर्तन को देते हैं. 

थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन से हिजाम कहते हैं, "यह एक बहुत बड़ा नुकसान था." उन्होंने अनुमान लगाया कि समय से पहले फूल गिर जाने से शहद उत्पादन की तीन चौथाई का उन्हें नुकसान हो गया. 45 वर्षीय हिजाम ने दक्षिण-पश्चिमी यमन के गृह प्रांत ताएजो से कहा, "मधुमक्खी पालन एक पारिवारिक व्यवसाय है, यह हमारी आय का मुख्य स्रोत है. और यमन की संस्कृति का एक हिस्सा. लेकिन जलवायु परिवर्तन इसको खतरे में डाल रहा है."

मधुमक्खी के पालकों पर जलवायु की मार

पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी के मुताबिक युद्धग्रस्त यमन की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. सालों से पड़ता सूखा और अत्यधिक गर्म दिनों की बढ़ती संख्या अधिक अस्थिर वर्षा - सभी जलवायु द्वारा प्रेरित हैं. जलवायु सेवा केंद्र जर्मनी द्वारा 2015 के विश्लेषण के मुताबिक गरीब अरब प्रायद्वीप देश ने पिछले 30 सालों में 29 फीसदी वर्षा में वृद्धि का अनुभव किया और औसत तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ा. इस कारण देश के सबसे कीमती उत्पाद को चोट पहुंच रही है. सिद्र शहद, जो प्राचीन वृक्ष के पराग को मधुमक्खियों को खिलाकर पैदा किया जाता है. सिद्र शहद सेहत के लिए लाभदायक बताया जाता है और इसकी कीमत साढ़े पांच हजार रुपये ढाई सौ ग्राम है. 

आमतौर पर यमन के मधुमक्खी पालक मधुमक्खी के छत्ते को ट्रक पर लादकर चलते हैं और वार्षिक फूलों के मौसम के समय सिद्र के पेड़ के पास पहुंचते हैं. यह मौसम करीब एक महीने तक चलता है. 

बेमौसम बारिश का भी असर

यूएनडीपी की साल 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण बेमौसम बारिश कहर बरपा रही है. जलवायु परिवर्तन यमन के शहद के काम में जुटे एक लाख परिवार की आजीविका के लिए खतरा बन रहा है. पेड़ पर या तो सामान्य से पहले ही फूल खिलते हैं या मधुमक्खियों के फूलों तक पहुंचने से पहले ही बेमौसम बारिश से फूल गिर जाते हैं. 

सना शहर में यूएनडीपी की आर्थिक विकास इकाई के प्रमुख फव्वाद अली कहते हैं कि आकस्मिक बाढ़ भी शहद उत्पादन को कम कर रही है. उनके मुताबिक, "किसान और मधुमक्खी पालक का बाढ़ आने पर एक दूसरे को चेतावनी देने का पारंपरिक तरीका हुआ करता था. वे खास पैटर्न में हवा में गोली चलाते थे. लेकिन अब बाढ़ आने पर चेतावनी देने के लिए उनके पास पर्याप्त समय नहीं है."

उत्तरी यमन में भी सर्दियों के दौरान सूखे ने मधुमक्खी पालकों को भी चोट पहुंचाई है. मधुमक्खी पालक नशेर कहते हैं, "यह मधुमक्खी पालकों को विचलित करता है, वे मौसम के सामने हार जाते हैं. इसका असर यह होता है कि पूरा सीजन खराब हो जाता है और उत्पादन पर असर पड़ता है." 

यमन में 2015 से चल रहे संघर्ष के कारण ग्रामीण मधुमक्खी पालकों के लिए नुकसान भारी होता जा रहा है. परिवहन के रूप में खर्च बढ़ा है तो संघर्ष के कारण जोखिम भी. एक और मधुमक्खी पालक अकारी इस बात को लेकर मायूस हैं कि वह अपने जुनून को जलवायु खतरे के कारण अगली पीढ़ी को सौंप नहीं पाएंगे. वे कहते हैं, "यह पेशा हमारी रगों में दौड़ता है. और मैं इस जीवन में अपने बच्चों को बिना पढ़ाए छोड़ नहीं सकता. मधुमक्खियां मेरे जीवन का हिस्सा हैं."

एए/सीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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