अमेरिका के एलजीबीटी युवाओं के नाम व्हाइट हाउस का मजबूत संदेश
७ अप्रैल २०२३
व्हाइट हाउस ने कहा है कि हाल ही में कई राज्यों में लाए गए एलजीबीटी युवाओं को निशाना बनाना वाले कानूनों ने खतरनाक मिसाल पेश की है. व्हाइट हाउस के बयान को इन युवाओं के समर्थन में एक मजबूत संदेश के रूप में देखा जा रहा है.
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व्हाइट हाउस की पहली घोषित समलैंगिक प्रेस सचिव कैरिन जौं-पियेर ने कहा, "हमें उन बच्चों पर बहुत गर्व है जिन्होंने अपने अपने राज्यों में राजनेताओं को इस विधाई दादागिरी को बंद करने का संदेश देने के लिए प्रदर्शन और स्कूल वाकआउट आयोजित किए."
उन्होंने यह भी कहा, "मुझे मालूम है कि इस तरह के राजनीतिक पैंतरों का लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर हो सकता है. इसलिए मैं एलजीबीटीप्लस बच्चों से सीधे कहना चाहूंगी, आप जो भी हैं, जैसी भी हैं, हम उसी रूप में आपसे बहुत प्यार करते हैं."
कंजर्वेटिव सांसदों के नेतृत्व में एलजीबीटीक्यू अधिकारों को सीमित करने के लिए कई कदमों की एक राष्ट्रव्यापी लहर चल निकली है. इनमें स्कूलों में जेंडर पहचान पर बात नहीं कर पाना, ड्रैग शो बंद कर देना और खेलों में ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों के भाग लेने को रोकना शामिल हैं.
राज्यों के कदम
गुरूवार छह अप्रील को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने वेस्ट वर्जीनिया राज्य को सरकारी स्कूलों में ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों को महिलाओं की टीमों से बैन करने वाले एक कानून को लागू करने से रोक दिया.
केंटकी में रिपब्लिकन सांसदों ने गवर्नर के वीटो को लांघते हुए ट्रांसजेंडर युवाओं को स्वास्थ्य सेवाओं से बैन कर दिया और सरकारी स्कूलों में वो कौन से टॉयलेट इस्तेमाल कर सकते हैं उस पर भी अंकुश लगा दिया.
'गे कन्वर्जन थेरेपी' के शिकार
03:27
इसी सप्ताह इंडियाना के गवर्नर ने नाबालिगों के लिए हर तरह की जेंडर अफरमिंग देखभाल को बैन करने वाले एक विधेयक पर हस्ताक्षर किए. ऐसा करके इंडियाना करीब एक दर्जन ऐसे राज्यों में शामिल हो गया जिन्होंने इस तरह के कानून पारित किए हैं.
इंडियाना के विधेयक और उसके जैसे अन्य विधेयकों के बारे में जौं-पियेर ने कहा, "यह अपने बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित फैसले लेने के माता-पिता के अधिकारों पर एक खतरनाक हमला है."
सीके/एए (रॉयटर्स)
एलजीबीटीक्यू+ जहां खुल कर घूम सकते हैं
लेस्बियन, गे, ट्रांसजेंडर, बायसेक्शुअल या क्वीयर- चाहे कोई किसी भी तरह की लैंगिक पहचान या यौन वरीयता वाला इंसान हो, दुनिया में कहीं भी उनके जाने पर रोक तो नहीं होनी चाहिए. देखिए कौन से हैं सबसे क्वीयर-फ्रेंडली ठिकाने.
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कनाडा
कनाडा को विश्व का सबसे क्वीयर-फ्रेंडली देश कहना गलत नहीं होगा. वर्ल्ड ट्रैवल एवार्ड्स में इसे टॉप LGBTQ+ फ्रेंडली ठिकाना पाया गया. समलैंगिक शादियों को यहां 2005 से ही कानूनी मान्यता मिली हुई है. इसके अलावा यहां साल भर समुदाय की रंगबिरंगी पहचान का उत्सव मनाने के लिए कार्यक्रम होते रहते हैं. जैसे जून में होने वाला टोरंटो प्राइड (फोटो में) या अगस्त में मॉन्ट्रियाल प्राइड फेस्टिवल.
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माल्टा
भूमध्य सागर में बसा यह छोटा सा द्वीपीय देश यूरोप के कुछ सबसे प्रगतिशील देशों में से एक है. LGBTQ+ समुदाय के लिए यहां इतना काम हुआ है कि 2004 में यहां किसी भी यौन वरीयता या लैंगिक पहचान वाले इंसान के साथ भेदभाव पर रोक लग गई. 2016 में गे कनवर्जन थेरेपी को गैरकानूनी घोषित करने वाला भी यह पहला देश है.
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पुर्तगाल
लिस्बन और पोर्तो (फोटो में) को पुर्तगाल का सबसे विविधता से भरा और खुले विचारों वाला शहर कहा जा सकता है. यहां समलैंगिक शादियों को 2010 से ही वैधता मिली हुई है. इसके कुछ साल बाद समान सेक्स वाले जोड़ों को बच्चे गोद लेने का अधिकार भी मिल गया. लेकिन ट्रांसजेंडर लोगों की सुरक्षा और तथाकथित कनवर्जन थेरेपी पर बैन लगाने जैसे कदम अभी बाकी हैं.
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स्वीडन
इसकी गिनती विश्व के सबसे प्रगतिशील देशों में होती है. यहां एलजीबीटीक्यू समुदाय की सुरक्षा के लिए कई कानून बनाए गए हैं. इस स्कैंडिनेवियन देश में समान सेक्स के लोगों के बीच सेक्स को 75 साल पहले ही अपराध के दायरे से बाहर निकाल लिया गया था. अब तो यहां किसी को संबोधित करने के लिए एक ही न्यूट्रल सर्वनाम चलता है - "hen". पहले महिलाओं के लिए hon ("she") और पुरुषों के लिए han ("he") सर्वनाम चलन में थे.
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उरुग्वे
लैटिन अमेरिका के सबसे सहनशील देश के रूप में उरुग्वे का नाम आता है क्योंकि यह समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने वाला पहला देश था. इस छोटे से देश में 1934 से ही समान सेक्स के लोगों के बीच सहमति से होने वाले सेक्स को अपराध के दायरे से बाहर निकाल लिया गया था. 2004 में यहां LGBTQ+ समुदाय को सुरक्षा देने वाले कई कानून बनाए गए.
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ऑस्ट्रेलिया
घूमने फिरने वालों के दिमाग में ऑस्ट्रेलिया की छवि खूबसूरत समुद्री तटों और रंगबिरंगी संस्कृति वाले शहरों से जुड़ी होगी. लेकिन अब भी शायद यह नहीं पता होगा कि यह बेहद सहनशील देश भी है. यहां भेदभाव विरोधी कानून 1984 में ही पास हो गए थे. इनका मकसद किसी भी इंसान को उसकी लैंगिक पहचान या यौन वरीयता के आधार पर दुर्व्यवहार से बचाना था. 2017 से यहां समलैंगिक विवाह भी वैध हैं.
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जर्मनी
इंटरसेक्स लोगों के अधिकारों के लिए हाल के सालों में जर्मनी में काफी तरक्की हुई है. बड़े शहरों जैसे कोलोन (फोटो में) और राजधानी बर्लिन में समाज काफी हद तक क्वीयर-फ्रेंडली माना जा सकता है लेकिन देश के बाकी हिस्से इतने खुले विचारों वाले नहीं कहे जा सकते. एक ही लिंग के लोगों की आपस में शादी को यहां 2017 में ही कानूनी मान्यता मिल गई थी. इंटरसेक्स लोग भी अपनी अलग कानूनी पहचान रखते हैं.
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आइसलैंड
आर्कटिक के इस कम आबादी वाले देश आइसलैंड में ना केवल प्रकृति के अद्भुत नजारे और जाड़ों का स्वर्ग है बल्कि यहां क्वीयर लोगों की भी जन्नत है. ऐसे में LGBTQ+ लोगों के लिए इससे दोस्ताना, सुरक्षित और स्वागत करने वाला घूमने का ठिकाना खोजना मुश्किल होगा. राजधानी रिक्याविक (फोटो में) में 1999 से ही सालाना प्राइड फेस्टिवल होता आता है. समान-सेक्स शादियां 2010 से वैध हैं.
तस्वीर: IBL Schweden/picture alliance
ताइवान
LGBTQ+ लोगों के अधिकारों के मामले में एशिया के सबसे प्रगतिशील देश के रूप में ताइवान का नाम आता है. इस द्वीपीय देश में लैंगिक भेदभाव के खिलाफ कई कानून बनाए गए हैं. समान सेक्स के लोगों की आपस में शादी को 2019 में कानूनी मान्यता देने वाला यह एशिया का पहला देश बना. और इस तरह उनके घूमने फिरने का सुरक्षित ठिकाना भी.
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कोलंबिया
कोलंबिया की संस्कृति वैसे तो कैथोलिक आस्था वाली और समाज में पुरुषवादी रवैया कूट कूट के भरा दिखता है लेकिन फिर भी इसकी गिनती लैटिन अमेरिका के सबसे प्रगतिवादी देशों में होती है. उरुग्वे के बाद यहां एलजीबीटीक्यू+ स्पेक्ट्रम के लोगों को सबसे ज्यादा अधिकार मिले हुए हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने 2016 में समलैंगिक शादियों को भी कानूनी मान्यता दे दी.(जोफी डिसेमोंड/आरपी)
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