सुप्रीम कोर्ट: पत्नी को तलाक दे सकते हैं, बच्चों को नहीं
आमिर अंसारी
१८ अगस्त २०२१
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश में कहा है कि पति पत्नी को तो तलाक दे सकता है लेकिन बच्चों को नहीं. पति को बच्चों की देखभाल करनी होगी.
विज्ञापन
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक व्यक्ति से कहा कि वह अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है लेकिन अपने बच्चों को तलाक नहीं दे सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने तलाक मांगने पहुंचे व्यक्ति को छह सप्ताह के भीतर बच्चों की देखभाल के लिए चार करोड़ देने को कहा है.
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिले अधिकार का इस्तेमाल किया और दंपति को आपसी रजामंदी के आधार पर तलाक का आदेश पारित किया. पति-पत्नी 2019 से अलग रह रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि समझौते के तहत जो शर्तें तय हुई हैं, वही लागू होंगी. पति की तरफ से पेश वकील ने कोर्ट को कहा कि कोरोना के कारण बिजनेस को नुकसान हुआ है और बच्चों की परवरिश की रकम तुरंत नहीं दी जा सकती. वकील ने कोर्ट से कुछ और समय मांगा.
इस पर कोर्ट ने कहा कि पति ने खुद कहा था जिस दिन तलाक को मंजूरी मिलेगी उस दिन वह चार करोड़ रुपये का भुगतान बच्चों की देखभाल के लिए जमा करेंगे. कोर्ट ने कहा कि ऐसे में आर्थिक स्थिति का हवाला देकर अब दलील नहीं टिकती.
देखें: दुनिया के सबसे महंगे तलाक
दुनिया के सबसे महंगे तलाक
आमतौर पर महंगी शादियों की चर्चा होती है लेकिन बदलते वक्त के साथ महंगे तलाक भी चर्चित होने लगे हैं. दुनिया के सबसे अमीर शख्स जेफ बेजोस की शादी टूटी तो दुनिया भर में इसकी चर्चा हुई. दुनिया के सबसे महंगे तलाकों पर एक नजर.
तस्वीर: picture-alliance/Eventpress/Golejewski
कई लाख करोड़ में निपटा तलाक
दुनिया के सबसे अमीर शख्स जेफ बेजोस और पत्नी मैकेंजी बेजोस के बीच तलाक का निपटारा 68 अरब डॉलर में हुआ था. इसे दुनिया का अब तक का सबसे महंगा तलाक माना जाता है. तलाक के बाद मैकेंजी दुनिया की सबसे अमीर महिलाओं की सूची में शामिल हो गई थीं.
तस्वीर: picture-alliance/Geisler/R. Wagner
शादी टूटी, महंगा सेटलमेंट
फ्रेंच-अमेरिकन व्यापारी और आर्ट डीलर एलेक विल्डेनस्टाइन ने 21 साल तक पत्नी जॉसलिन विल्डेनस्टाइन के साथ रहने के बाद 1999 में उन्हें तलाक दे दिया. इसके बदले में उन्हें जॉसलिन को 2.5 अरब डॉलर देने पड़े थे. यही नहीं इसके बाद 13 साल तक उन्हें मामला निपटाने के लिए 10 करोड़ डॉलर भी देने पड़े.
तस्वीर: Fotolia/apops
अरबों डॉलर में सुलझा मामला
'मीडिया मुगल' के नाम से पूरी दुनिया में विख्यात रुपर्ट मर्डोक की शादी जब टूटी तो दुनिया भर में चर्चा हुई. 1999 में रुपर्ट मर्डोक और एना टॉर्व ने अपनी 31 साल पुरानी शादी को खत्म करने का फैसला किया और तलाक का मामला 1.7 अरब डॉलर में सुलझा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
इतना महंगा तलाक!
ब्रिटेन के सबसे अमीर लोगों में शुमार बर्नी एक्लेस्टोन ने जब अपनी पत्नी स्लैविका से तलाक लिया तो उसके बदले 120 करोड़ डॉलर बतौर मुआवजा चुकाया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
शादी या ‘निवेश’!
तेल कारोबारी हैरॉल्ड हैम और उनकी पत्नी के बीच तलाक करीब 98 करोड़ डॉलर में निपटा. ऐसी रिपोर्टें आईं कि सू एन हैम ने 2015 तक चेक नहीं भुनाया ताकि रकम को और बढ़ाया जा सके.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/E. Agostini
अमीरों की शादी और तलाक
एक समय में अदनान खशोगी सऊदी अरब के सबसे अमीर शख्स थे, उन्होंने 1982 में अपनी पत्नी सुराया खशोगी को तलाक दिया और इसके बदले में उन्होंने 87 करोड़ डॉलर अदा किए थे.
तस्वीर: Picture alliance/empics/I. West/PA Wire
महंगी शादी, महंगा तलाक!
कसीनो जगत के बादशाह कहे जाने वाले स्टीव विन और एलेन विन ने साल 2010 में शादी तोड़ ली. तलाक की प्रक्रिया को निपटाने के लिए एलेन को करीब 74 करोड़ डॉलर खर्च करने पड़े थे. यह उनके बीच दूसरा तलाक था. पहली बार वे 1963 से 1986 तक पति-पत्नी रहे फिर 1991 से 2010 तक शादी के बंधन में बंधे रहे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Sweet
7 तस्वीरें1 | 7
"बच्चों को तलाक नहीं दे सकते"
बेंच ने अपने आदेश में कहा, "आप अपनी पत्नी को तलाक दे सकते हैं लेकिन बच्चों को तलाक नहीं दे सकते क्योंकि आपने उन्हें जन्म दिया है. आपको उनकी देखभाल करनी होगी. आपको तलाक ले चुकी पत्नी की देखभाल और नाबालिग बच्चों की परवरिश के लिए राशि का भुगतान करना होगा."
कोर्ट ने अपने आदेश में पति को एक सितंबर 2021 तक एक करोड़ रुपये देने और उसके बाद बाकी के तीन करोड़ रुपये 30 सितंबर 2021 के पहले भुगतान करना का आदेश दिया.
कोर्ट ने दंपति की तरफ से शुरू की गईं सभी कानूनी प्रक्रियाओं को भी निरस्त कर दिया है. बेंच ने कहा कि दंपति के बीच हुए समझौते की अन्य सभी शर्तें उनके बीच हुए अनुबंध के तहत ही पूरी की जाएंगी.
अलग होने वाले पति-पत्नी के दो बच्चे हैं. बच्चों की कस्टडी को लेकर पहले ही समझौता हो चुका है.
यूनिफॉर्म सिविल कोड की 10 अहम बातें
हर थोड़े दिनों में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता को लेकर राजनीतिक गलियारों में बहस शुरू हो जाती है. जानिए कि यह समान नागरिक संहिता है क्या और इसके लागू होने से क्या बदलाव आएंगे.
तस्वीर: Fotolia/Sebastian Duda
एक देश, एक कानून
समान नागरिक संहिता या यूनिफॉर्म सिविल कोड देश के सभी नागरिकों के लिए एक जैसा कानून लागू करने की कोशिश है.
तस्वीर: DW/A. Ansari
क्या बदलेगा
इसके तहत संपत्ति के अधिकार के अलावा शादी, तलाक, गुजारा भत्ता, बच्चा गोद लेने और वारिस तय करने जैसे विषयों पर सब लोगों के लिए एक कानून होगा.
तस्वीर: Fotolia/davidevison
अभी क्या नियम है
अभी भारत इसके अलग-अलग नियम हैं. मतलब संपत्ति और तलाक के नियम हिंदुओं को लिए कुछ और हैं, मुसलमानों के लिए कुछ और ईसाइयों के लिए कुछ और.
तस्वीर: picture alliance/ZUMA Press/S. Islam
समान संहिता का विरोध
भारत में मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड समान नागरिक संहिता का विरोध करता है. वह इसे इस्लामी नियमों और सिद्धातों में हस्तक्षेप मानता है.
तस्वीर: Reuters
दखल
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि समान नागरिक संहिता से लैंगिक भेदभाव को कम करने में मदद मिलेगी, जबकि कई मुस्लिम समुदाय इसे अपने धार्मिक मामलों में दखल के तौर पर देखते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP/A. Solanki
संहिता एक हल
दूसरी तरफ, तीन तलाक जैसे मुद्दों का विरोध करते हुए लोग कहते हैं कि समान नागरिक संहिता एक हल है. अब सरकार ने त्वरित तीन तलाक को अपराध बना दिया है. ऐसा करने पर सजा का प्रावधान है.
तस्वीर: picture-alliance/AP
भाजपा के एंजेडे में
समान नागरिक संहिता को लागू करना दशकों से भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे में रहा है.
तस्वीर: DW/M. Kumar
सियासत
समान नागरिकता संहिता सियासी मुद्दा रहा है, जिससे वोट बैंक बनते-बिगड़ते रहे हैं. इस सिलसिले में 1985 का शाह बानो केस अहम माना जाता है.
तस्वीर: Reuters/Danish Siddiqui
पलट दिया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि 60 वर्षीय शाह बानो तलाक के बाद अपने पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार है. लेकिन मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के कड़े विरोध के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने संसद के जरिए इस फैसले को पलटवा दिया.
तस्वीर: AP
गुजारा भत्ता
वैसे, बाद में एक अन्य फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इद्दत की अवधि के बाद मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता दिए जाने का फैसला सुनाया. इद्दत तलाक के बाद की वो अवधि होती है जिसमें महिला दूसरी शादी नहीं कर सकती.