चीन ने अपने सस्ते मजदूरों के दम पर अपनी अर्थव्यवस्था को इतना बड़ा बनाया है, लेकिन आज वही चीन कामगारों की भारी किल्लत से जूझ रहा है क्योंकि युवा अब फैक्ट्रियों में काम नहीं करना चाहते. तो विकल्प क्या है?
विज्ञापन
चीन के एक गांव में पले-बढ़े जूलियन जू को अपने पिता से मिलने का मौका साल भर में कुछ ही बार मिलता था. उनके पिता दक्षिणी ग्वांगडोंग प्रांत में एक कपड़ा मिल में काम करते थे. उनके पिता की पीढ़ी के लिए गांव की गरीबी से उबरने का जरिया फैक्ट्री की नौकरी ही हुआ करता था. हालांकि जू, और उन जैसे करोड़ों युवाओं के लिए फैक्ट्री की कम वेतन पर ज्यादा काम वाली यह नौकरी उतनी अहमियत नहीं रखती कि इसके लिए वह अपना जीवन होम कर दें.
32 वर्षीय जूलियन कहते हैं, "कुछ समय बाद तो यह वो काम है जो आपके जहन को कुंद कर देता है. मैं तो रोज-रोज वही काम नहीं कर सकता.” जूलियन ने कुछ साल पहले ही फैक्ट्री की नौकरी छोड़ दी थी. अब वह पाउडर वाला दूध बेचकर और स्कूटर से डिलीवरी करके अपना परिवार चला रहे हैं.
जूलियन जैसे 20 और 40 के बीच के लाखों चीनी युवा फैक्ट्रियों में काम करने से कतराने लगे हैं. इस कारण चीन के फैक्ट्री मालिकों के लिए हालात काफी परेशानी भरे बनते जा रहे हैं क्योंकि उनके पास काम करने वाले लोग कम होते जा रहे हैं. ये चीनी फैक्ट्री मालिक दुनिया के कुल उपभोग का लगभग एक तिहाई उत्पादन करते हैं.
फैक्ट्री मालिकों का कहना है कि अगर उन्हें युवा मजदूर मिलेंगे तो वे ज्यादा तेजी से और ज्यादा मात्रा में उत्पादन कर पाएंगे. लेकिन इसके लिए उन्हें युवाओं को ज्यादा तन्ख्वाहें देनी होंगी और काम के हालात भी बेहतर करने होंगे. तभी युवा चीनी इस काम की ओर आकर्षित होंगे.
एक और विकल्प ऑटोमेशन है लेकिन छोटे उद्योग कहते हैं कि ऑटोमेशन तकनीक में निवेश या तो वहनीय ही नहीं है या फिर व्यावहारिक नहीं है क्योंकि महंगाई के कारण चीन के बड़े निर्यात बाजारों में मांग कम हो रही है.
सबको चाहिए नौजवान कर्मचारी
चीन के 80 प्रतिशत से ज्यादा निर्माता कामगारों की कमी से जूझ रहे हैं. मजदूरों की यह कमी लाखों से लेकर करोड़ों तक में है. सीआईआईसी कंसल्टिंग का एक सर्वेक्षण कहता है कि जितने कामगारों की जरूरत है उसके 10 से 30 प्रतिशत की कमी है. चीन के शिक्षा मंत्रालय का अनुमान है कि 2025 तक मैन्युफैक्चरिंग में 3 करोड़ मजदूरों की कमी होगी जो कि ऑस्ट्रेलिया की कुल आबादी के बराबर है.
कागजों पर देखा जाए तो मजदूरों की यह कमी कहीं नजर नहीं आती. चीन में 16 से 24 साल के लगभग 18 फीसदी युवा बेरोजगार हैं. इसी साल एक करोड़ से ज्यादा युवा ग्रैजुएट होकर रोजगार के काबिल हो गए हैं. लेकिन मैन्युफैक्चरिंग में कहानी अलग है. और कोविड के कारण देश की अर्थव्यवस्था यूं भी अपनी जड़ों से हिली हुई है. प्रॉपर्टी मार्किट में गिरावट और तकनीकी व अन्य निजी क्षेत्रों पर सरकारी नियमों की सख्ती के कारण अर्थव्यवस्था दशकों में अपनी सबसे धीमी विकास दर से गुजर रही है.
शी जिनपिंग ने चीन की सत्ता को अपनी मुट्ठी में कैसे किया
20वीं पार्टी कांग्रेस में शी जिनपिंग को तीसरी बार देश का राष्ट्रपति चुने जाने के पक्के आसार हैं. इसके साथ ही वो माओ त्से तुंग के बाद चीन के सबसे ताकतवर नेता होंगे. साम्यवादी देश में जिनपिंग ने यह सब कैसे संभव किया.
तस्वीर: Greg Baker/AFP/Getty Images
पार्टी के शीर्ष नेता और देश के राष्ट्रपति
शी जिनपिंग एक दशक पहले चीन के शीर्ष नेता बने जब कम्युनिस्ट पार्टी की 18वीं कांग्रेस में उन्हें पार्टी महासचिव और केंद्रीय सैन्य आयोग का चेयरमैन बनाया गया. कुछ ही महीनों बाद वो देश के राष्ट्रपति बने.
तस्वीर: Song Jianhao/HPIC/dpa//picture alliance
सामूहिक नेतृत्व से सुप्रीम लीडरशिप की ओर
शी ने बीते सालों में अपने कुछ खास कदमों और गुजरते समय के साथ धीरे धीरे अपनी ताकत बढ़ाई है. चीन में सामूहिक नेतृत्व की परंपरा रही है जिसमें महासचिव पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति में समान लोगों में प्रथम होता है लेकिन अब शी के उदय के साथ देश सुप्रीम लीडरशीप की ओर बढ़ रहा है.
तस्वीर: Zhang Duo/Photoshot/picture alliance
आर्थिक नीतियों पर पकड़
चीन में आर्थिक नीतियां बनाने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री पर रहती आई थी लेकिन अलग अलग समूहों के चेयरमैन के रूप में शी जिनपिंग ने यह जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली. इनमें 2012 में शी के सत्ता में आने के बाद बनी "सुधार और खुलापन" नीति और आर्थिक मामलों से जुड़ा एक पुराना समूह भी शामिल था.
तस्वीर: Liang/HPIC/dpa/picture alliance
विश्वासघाती, भ्रष्ट और बेकार अफसरों पर कार्रवाई
सत्ता में आने के बाद शी ने भ्रष्ट, विश्वासघाती और बेकार अफसरों पर कार्रवाई के लिए एक अभियान चलाया और इनकी खाली हुई जगहों पर अपने सहयोगियों को बिठाया. इस कदम से उनकी ताकत का आधार कई गुना बढ़ गया. इस दौरान करीब 47 लाख लोगों के खिलाफ जांच की गई.
तस्वीर: Mark Schiefelbein/AFP/Getty Images
भरोसेमंद लोगों की नियुक्ति
शी ने पार्टी के मानव संसाधन विभाग का प्रमुख अपने भरोसेमंद लोगों को बनाया. संगठन विभाग के उनके पहले प्रमुख थे झाओ लेजी, जिनके पिता ने शी के पिता के साथ काम किया था. उनके बाद 2017 में चेन शी ने यह पद संभाला जो शी के शिनघुआ यूनिवर्सिटी में सहपाठी थे.
तस्वीर: Ali Haider/EPA/dpa/picture alliance
सेना पर नियंत्रण
2015 में शी जिनपिंग ने चीन की सेना में व्यापक सुधारों की शुरुआत की और इसके जरिये इस पर भरपूर नियंत्रण हासिल किया. इस दौरान इसमें काफी छंटनी भी हुई. सेना पर नियंत्रण ने शी जिनपिंग की मजबूती और बढ़ाई.
तस्वीर: Li Gang/Xinhua/AP/picture alliance
घरेलू सुरक्षा तंत्र की सफाई
शी जिनपिंग ने घरेलू सुरक्षा तंत्र में व्यापक "सफाई" अभियान की शुरुआत की. इस भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में बहुत सारे जजों और पुलिस प्रमुखों ने अपनी नौकरी गंवाई. सत्ता तंत्र पर नियंत्रण की दिशा में यह कदम भी बहुत कारगर साबित हुआ.
तस्वीर: Guang Niu/Getty Images
संसद और सुप्रीम कोर्ट की सालाना रिपोर्ट
2015 में राष्ट्रपति जिनपिंग ने चीन की संसद, कैबिनेट और सुप्रीम कोर्ट समेत दूसरी संस्थाओं को अपने कामकाज की सालाना रिपोर्ट के बारे में उन्हें ब्यौरा देने का आदेश दिया.
तस्वीर: Jason Lee/AFP/Getty Images
मीडिया पर लगाम
2016 में शी जिनपिंग ने सरकारी मीडिया को पार्टी लाइन पर चलने का हुक्म दिया इसके मुताबिक उनका "सरनेम पार्टी है." इसके बाद से मीडिया की आजादी तेजी से घटी और शी से संबंधित प्रचार तेजी से बढ़ा.
तस्वीर: Greg Baker/AFP
पार्टी के सारतत्व
2016 में शी जिनपिंग ने खुद को औपचारिक रूप से पार्टी के "सारतत्व" के रूप में स्थापित किया. पार्टी में इसे सर्वोच्च नेता कहा जाता है.
तस्वीर: Nicolas Asfouri/AFP/Getty Images
पार्टी के संविधान में संशोधन
शी जिनपिंग ने 2017 में पार्टी के संविधान में संशोधन कर चीनी स्वभाव में समाजवाद पर अपने विचार को जगह दी. इस लिहाज से वो पार्टी के शीर्ष पर मौजूद नेताओं माओ त्से तुंग और डेंग शियाओपिंग की कतार में आ गये.
तस्वीर: Luong Thai Linh/EPA/dpa/picture alliance
पार्टी ही सबकुछ
2017 में उन्होंने चीन में पार्टी की भूमिका सर्वोच्च कर दी. शी जिनपिंग ने एलान किया, "पार्टी, सरकार, सेना, लोग, शिक्षा, पूरब, दक्षिण, पश्चिम, उत्तर, मध्य, हर चीज में नेतृत्व पार्टी ही करेगी."
तस्वीर: Li Xueren/Xinhua News Agency/picture alliance
राष्ट्रपति का कार्यकाल
2018 में चीन के संविधान में संशोधन कर उन्होंने राष्ट्रपति के लिए दो बार के निश्चित कार्यकाल की सीमा खत्म कर दी. इसके साथ ही जिनपिंग के लिए जीवन भर इस पद पर बने रहने का रास्ता साफ हो गया.
तस्वीर: Nicolas Asfouri/AFP/Getty Images
पार्टी की वफादारी
2021 में एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित कर पार्टी ने "टू एस्टबलिशेज" पर सहमति की मुहर लगा दी. इसके जरिये पार्टी ने शी जिनपिंग के प्रति वफादार रहने की शपथ ले ली. माओ त्से तुंग के बाद चीन में अब सिर्फ शी जिनपिंग हैं.
तस्वीर: Greg Baker/AFP/Getty Images
14 तस्वीरें1 | 14
दक्षिणी चीन में यूरोपियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष क्लाउस सेंकेल दो दशक पहले चीन चले गए थे. तब यूनिवर्सिटी से पास होने वाले ग्रैजुएट आज के मुकाबले दस फीसदी भी नहीं थे और देश की अर्थव्यवस्था का आकार अब से 15 गुना छोटा था. सेंकेल शेनजेन में एक फैक्ट्री चलाते हैं. 50 मजदूरों वाली इस फैक्ट्री में वह मैग्नेटिक शील्ड बनाते हैं जो अस्पतालों में काम आती हैं.
सेंकेल बताते हैं कि चीन की अर्थव्यवस्था में हाल के सालों में आए उछाल ने युवाओं की महत्वाकांक्षाओं को पंख दिए हैं और अब फैक्ट्री में काम करने की इच्छा लगातार कम हो रही है. वह बताते हैं, "युवाओं के लिए यह काम करना बहुत आसान है. वे सीढ़ियों पर चढ़ सकते हैं, मशीनों को आसानी से संभाल सकते हैं, औजारों से काम कर सकते हैं. लेकिन हमारे ज्यादातर कर्मचारी 50 से 60 साल के बीच के हैं. जल्दी ही हमें युवाओं की जरूरत होगी लेकिन यह बहुत मुश्किल है. वे लोग आते हैं, एक नजर मारते हैं और नहीं, धन्यवाद कहकर चले जाते हैं.”
विज्ञापन
क्या है विकल्प?
विनिर्माण में काम करने वाले लोग कहते हैं कि इस समस्या से निपटने के लिए उनके पास तीन मुख्य विकल्प हैं. वे अपना मुनाफा कम करें और तन्ख्वाह बढ़ाएं ताकि युवाओं को आकर्षित किया जा सके, ऑटोमेशन में निवेश करें. या फिर भारत और वियतनाम जैसे सस्ते बाजारों में चले जाएं. लेकिन इन तीनों विकल्पों में से आसान कोई भी नहीं है.
चीन के नीति-निर्माता ऑटोमेशन पर जोर देते हैं और बूढ़े होते मजदूरों की समस्या को मशीनी आधुनिकीकरण से हल करने पर जोर देते हैं. इलेक्ट्रिक बैट्री के क्षेत्र में काम करने वाले फैक्ट्री मालिक लू बताते हैं कि उन्होंने आधुनिक मशीनों में निवेश किया. लेकिन इसके कारण उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं. वह बताते हैं कि उम्रदराज मजदूर नई तकनीक को नहीं समझते हैं और वे तेजी से काम नहीं कर पाते हैं.
कई अन्य फैक्ट्री मालिकों की तरह लू ने भी अपना पूरा नाम नहीं बताया. वह कहते हैं कि उन्होंने युवाओं को पांच प्रतिशत ज्यादा तन्ख्वाह देकर आकर्षित करने की कोशिश की लेकिन तब भी नाकाम रहे. अपनी स्टील फैक्ट्री में महंगी आधुनिक मशीनें लगाने वाले डोटी कहते हैं कि पैकेजिंग के लिए तो मशीन लगा ली है लेकिन बाकी कामों के लिए मशीनें लगाना बहुत महंगा पड़ेगा. वह कहते हैं कि युवा कर्मचारियों का कोई विकल्प नहीं है.
कितना ताकतवर है चीन
चीन को अमेरिका ने अपने लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया था. यह चुनौती कितनी बड़ी है, इसका अंदाजा चीन की सैन्य और रक्षा क्षमताओँ पर एक नजर डालने से हो जाता है. देखिए, कितना ताकतवर है चीन.
तस्वीर: Jason Lee/Getty Images
सबसे बड़ी नौसेना
नौसेना के आकार के मामले में चीन अमेरिका को पहले ही पीछे छोड़ चुका है. उसके पास 348 युद्धक जहाज हैं जबकि अमेरिका के पास 296 जहाज हैं. इसी साल जून में उसने फूजियान टाइप 3 विमान वाहक जहाज उतारा था जो उसका तीसरा विमानवाहक है. यह जहाज उसके इंजीनियरों ने खुद बनाया है.
तस्वीर: Li Gang/Xinhua/picture alliance
विशाल बजट
चीन का रक्षा बजट अमेरिका के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर है. 2021 में उसने 270 अरब डॉलर रक्षा मद में खर्च किए, जबकि अमेरिका ने 768 अरब डॉलर. भारत तीसरे नंबर पर है और उसने 74 अरब डॉलर खर्च किए थे.
तस्वीर: Zhang Haofu/Xinhua/picture alliance
परमाणु जखीरा
बीते साल नवंबर में अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने एक अनुमान जारी किया था जिसके मुताबिक 2030 तक चीन के पास अब से चार गुना ज्यादा यानी लगभग 1,000 परमाणु हथियार होंगे. यह अमेरिका के 5,550 हथियारों के मुकाबले काफी कम है लेकिन बढ़ने की रफ्तार बहुत तेज है.
तस्वीर: Liu Kun/Xinhua/picture alliance
भविष्य के हथियार
कई रिपोर्ट कहती हैं कि चीन हाइपरसोनिक और क्रूज मिसाइलों जैसे हथियार विकसित कर रहा है जो दुनिया में कहीं भी, किसी भी सूरत में मार कर सकती हैं. हालांकि चीन हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने से इनकार करता है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले साल उसने दो रॉकेट परीक्षण के लिए दागे थे, जो असल में मिसाइल थे.
तस्वीर: Hu Shanmin/Xinhua/picture alliance
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर अटैक
यह ऐसा क्षेत्र है जिसमें चीन बेहद तेजी से निवेश और विकास कर रहा है. उसकी सेना को भविष्य के युद्ध लड़ने के मकसद से तैयार किया जा रहा है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चीन के पास रोबोटिक सैनिकों जैसी अत्याधुनिक तकनीकें हो सकती हैं.
तस्वीर: MAXPPP/dpa/picture alliance
5 तस्वीरें1 | 5
युवाओं की प्राथमिकताएं बदल गई हैं. कम आय वाली नौकरियां करने की बजाय वे अच्छी पढ़ाई करना चाहते हैं. इस साल 46 लाख चीनियों ने पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री के लिए आवेदन दिया है, जो कि एक रिकॉर्ड है. इसी महीने सरकारी मीडिया में छपी एक रिपोर्ट बताती है कि हर सरकारी नौकरी के लिए औसतन छह हजार आवेदन आ रहे हैं.
वैसे, अर्थशास्त्री इस पूरी स्थिति का एक और पहलू देख रहे हैं. वह कहते हैं कि बाजार की ताकतें चीनी युवाओं और विनिर्माण उद्योग दोनों को अपनी महत्वाकांक्षाएं दबाने के लिए मजबूर कर सकती हैं. हांगकांग यूनिवर्सिटी में फाइनेंस के प्रोफेसर जीवू चेन कहते हैं, "मजदूरों की यह कमी दूर होने से पहले युवाओं के लिए बेरोजगारी की समस्या को और बुरा होना होगा. 2025 तक मांग निश्चित तौर पर नीचे चली जाएगी और तब कामगारों की इतनी कमी नहीं रहेगी.”