यूलिया नवालन्या ने यूरोपीय संसद में कहा, पुतिन को ऐसे हराएं
२८ फ़रवरी २०२४चैंबर में यूलिया नवालन्या का स्वागत करते हुए यूरोपीय संसद की अध्यक्ष रोबर्टा मेत्सोला ने कहा, "रूस और बाहर की दुनिया में कई लोगों के लिए ऐलेक्सी नावाल्नी एक उम्मीद थे. बेहतर दिनों की उम्मीद. एक आजाद रूस की उम्मीद. भविष्य की उम्मीद."
मेत्सोला ने नवालन्या को संबोधित करते हुए कहा, "अगर इतिहास हमें कुछ सिखाता है, तो यह कि आखिर में और हमेशा, हमेशा ही निरंकुश सत्ता के खंभे अपने ही भ्रष्टाचार के बोझ और लोगों की आजादी से जीने की बुनियादी ख्वाहिश के तले बिखर जाते हैं. और जब ऐसा होगा, तो इसका श्रेय ऐलेक्सी और आपके परिवार के काम को जाएगा."
यूलिया नवालन्या ने पुतिन को बताया जिम्मेदार
अपने संबोधन में नवालन्या ने पुतिन के नेतृत्व में रूसी प्रशासन पर नावाल्नी की हत्या का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "अगर आप सच में पुतिन को हराना चाहते हैं, तो आपको इनोवेटर बनना होगा. आप एक और प्रस्ताव या कुछ प्रतिबंध लगाकर पुतिन को चोट नहीं पहुंचा सकते हैं. आप किसी राजनेता से नहीं, बल्कि एक 'मॉबस्टर' का सामना कर रहे हैं. सबसे जरूरी चीज यह है कि पुतिन के करीबी, उनके दोस्त, सहयोगी और वो लोग जिनके पास माफिया का पैसा है... इस आपराधिक गिरोह से हम सभी को मिलकर लड़ना होगा."
नवालन्या ने राष्ट्रपति पुतिन को जिम्मेदार मानते हुए कहा, "पुतिन ने मेरे देश के साथ जो किया है, उन्हें उसके लिए जवाब देना ही होगा. उन्होंने एक शांतिपूर्ण पड़ोसी देश के साथ जो किया है, उसका जवाब देना होगा. और पुतिन ने ऐलेक्सी के साथ जो कुछ किया, उसका भी जवाब देना होगा."
यूलिया नवालन्या का आरोप, नावाल्नी की हत्या हुई है
नवालन्या ने रूसी प्रशासन पर अपने पति की हत्या का आरोप लगाया है. शुरुआत में अधिकारियों ने नावाल्नी का शव नहीं दिया था. यूलिया ने आरोप लगाया कि प्रशासन नावाल्नी का शव छिपा रहा है और इंतजार कर रहा है कि शव से नर्व एजेंट के अंश गायब हो जाएं.
नावाल्नी की प्रवक्ता कीरा यारमेश ने भी आरोप लगाया कि रूसी अधिकारियों ने नावाल्नी का शव देने से इनकार कर दिया. यारमेश के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि 14 दिनों तक शव की रासायनिक जांच की जाएगी.
"उस इंसान को व्लादीमीर पुतिन ने मार डाला"
नावाल्नी की मौत के तीन दिन बाद यूलिया ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो डाल कर अपने पति के राजनीतिक काम को जारी रखने का संकल्प लिया. वीडियो में कई बार नवालन्या की आवाज भावनाओं के आवेग में कांपती नजर आई. उन्होंने कहा, "मुझे यहां नहीं होना चाहिए था. मुझे ये वीडियो रिकॉर्ड करने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए थी. मेरी जगह किसी और शख्स को यहां होना चाहिए था, लेकिन उस इंसान को व्लादीमीर पुतिन ने मार डाला."
नवालन्या ने कहा, "मैं ऐलेक्सी नावाल्नी का काम आगे बढ़ाऊंगी. मैं एक आजाद रूस में जीना चाहती हूं. मैं एक आजाद रूस बनाना चाहती हूं." उन्होंने रूस के लोगों से साथ मांगते हुए अपील की, "मैं आपसे साथ खड़े होने की अपील करती हूं. बस इस तकलीफ और अंतहीन दर्द को साझा करने के लिए नहीं, बल्कि मैं आपसे इस गुस्से को भी साझा करने की अपील करती हूं. यह रोष, गुस्सा और नफरत...उनके लिए जो हमारे भविष्य को मारने की हिम्मत करते हैं."
नावाल्नी पर जानलेवा हमले के बाद बदली भूमिका
नावाल्नी की मौत से पहले यूलिया नवालन्या कहती थीं कि उनकी राजनीति में दिलचस्पी नहीं है. हालांकि, नावाल्नी की सरकार विरोधी मुहिमों के दौरान भी नवालन्या उनके सबसे करीबी सलाहकारों में थीं. नावाल्नी को जेल में बंद किए जाने के बाद नवालन्या उनकी बातों को बाहर की दुनिया तक पहुंचाने का एक नियमित माध्यम बनी रहीं.
शुरुआती दौर में नवालन्या अमूमन लाइमलाइट से दूर थीं. वह दिखतीं भी, तो अपने पति के साथ उन्हें आधार और समर्थन देते हुए उनके बराबर में चुपचाप मौजूद रहतीं. नवालन्या की भूमिका अगस्त 2020 के बाद ज्यादा मुखर और सार्वजनिक हुई.
यह घटनाक्रम नावाल्नी पर हुए कथित नर्व एजेंट के हमले से जुड़ा है. 20 अगस्त, 2020 को साइबेरिया के टॉमस्क शहर से मॉस्को की हवाई यात्रा के दौरान नावाल्नी पर कथित रासायनिक हमला हुआ. विमान की आपातकालीन लैंडिंग कराई गई. वह कोमा में चले गए. उन्हें ओम्स्क शहर की एक अस्तपाल में ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा.
पुतिन के नाम चिट्ठी लिखी
नवालन्या मॉस्को में थीं, जब नावाल्नी के साथ यात्रा कर रहे उनके एक सहयोगी ने यह खबर उन्हें बताई. वह ओम्स पहुंचीं, साथ में कैमरा क्रू लेकर. उन्होंने सीधे रूस की सरकार से अपील करते हुए कहा कि उन्हें अपने पति को इलाज के लिए देश के बाहर ले जाने की अनुमति दी जाए. नवालन्या ने राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के नाम एक पत्र सार्वजनिक किया.
इस पत्र में लिखा था, "मैं आधिकारिक तौर पर आपको संबोधित कर रही हूं. मेरी मांग है कि मुझे ऐलेक्सी नावाल्नी को जर्मनी ले जाने की अनुमति दी जाए." कई जानकार रेखांकित करते हैं कि इतनी संवेदनशील स्थिति में भी यूलिया ने अपनी अपील की भाषा में याचना का नहीं, बल्कि मांग का स्वर रखा.
अपील के कुछ ही घंटे बाद एक विशेष विमान से नावाल्नी को जर्मनी लाया गया. यूलिया ने अपने साक्षात्कारों में बताया है कि उस वक्त नावाल्नी को बचाने की यही एक उम्मीद दिख रही थी. जर्मनी की राजधानी बर्लिन के शैरिटी अस्पताल में उनका लंबा इलाज चला.
सोशल मीडिया पर भी लोकप्रियता बढ़ी
अस्पताल में नावाल्नी की सेहत में सुधार की खबरें सोशल मीडिया के जरिये सामने आती रहीं. इस दौरान टिकटॉक और इंस्टाग्राम जैसे ऐप्स पर नवालन्या की लोकप्रियता भी खूब बढ़ी. लोग मुश्किल परिस्थितियों में उनके साहस और धैर्य को रेखांकित कर रहे थे.
कई मीडिया रिपोर्टों और मामले पर करीब से नजर रखने वाले पत्रकारों ने जर्मनी ले जाकर नावाल्नी के इलाज को मुमकिन बनाने का श्रेय नवालन्या को दिया. वैनिटी फेयर ने अपनी एक स्टोरी के शीर्षक में लिखा, "यूलिया नवालन्या कैसे बनीं रूस की असली फर्स्ट लेडी." अमेरिकी राजनीतिक परंपरा में राष्ट्राध्यक्ष की पत्नी को 'फर्स्ट लेडी' कहा जाता है. चूंकि पुतिन का तलाक हो चुका था, तो कई लोग यूलिया की दमदार भूमिका के कारण उन्हें रूस की 'फर्स्ट लेडी' कह रहे थे.
बर्लिन में नावाल्नी के इलाज के दौरान यूलिया पूरे वक्त उनके साथ रहीं. ठीक होने के बाद जनवरी 2021 में नावाल्नी रूस लौट गए, जबकि उनकी वापसी पर रूस में उनके सुरक्षा को लेकर गहरी आशंकाएं थीं. जैसा कि अंदेशा था, लौटने के कुछ ही दिन बाद नावाल्नी को गिरफ्तार कर लिया गया.
अप्रैल 2021 में नवालन्या ने जेल प्रमुख को एक चिट्ठी भेजी थी. इंस्टाग्राम पर साझा की गई इस चिट्ठी में लिखा था, "अगर ऐलेक्सी की जान जाती है, तो उसकी मौत का नैतिक भार आप पर होगा और पुतिन पर भी इसकी जिम्मेदारी होगी." बाद के दिनों में भी नावाल्नी के जेल के अनुभव सामने लाने में नवालन्या की सक्रियता बनी रही.
रूस में होना है राष्ट्रपति चुनाव
नवालन्या हमेशा सक्रिय राजनीति से दूर रहने की बात करती थीं. जब नावाल्नी जिंदा थे, तब नवालन्या ने रूस के विपक्ष का हिस्सा बनने की संभावनाओं से हमेशा इनकार किया. लेकिन अब नावाल्नी के बाद उन्होंने संकेत दिया है कि वह विपक्ष को नेतृत्व देने में सहायता कर सकती हैं.
रूस में 15 से 17 मार्च को राष्ट्रपति चुनाव होना है. पुतिन इस चुनाव में भी खड़े हैं. 2020 में हुए संवैधानिक संशोधन की मदद से पहले ही उन्हें 2024 के बाद भी छह-छह साल के दो कार्यकालों की गुंजाइश मिल चुकी है. चुनाव की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गहरा संशय है.
2018 में हुए पिछले चुनाव के आधिकारिक नतीजों के मुताबिक, पुतिन एकतरफा मुकाबला जीते थे. दूसरे नंबर पर आए उम्मीदवार पावेल ग्रूडिनिन को कुल वोटों में से करीब 12 फीसदी वोट मिले थे. जानकारों का कहना है कि ऐसे उम्मीदवार और मौजूदा चुनावी मुकाबला दिखावटी है.
नावाल्नी को पुतिन का सबसे मजबूत विपक्षी प्रतिद्वंद्वी बताया जाता था. नावाल्नी का हमेशा से स्पष्ट कहना था कि वह रूस से बाहर निर्वासन में नहीं रहेंगे, भले ही उन्हें इसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े. मगर यूलिया ने रूस लौटने की किसी योजना की बात नहीं कही है.
कई जानकार मानते हैं कि अगर वह रूस से बाहर रहीं, तो क्रेमलिन उन्हें विदेशी मोहरा बताकर दुष्प्रचार कर सकता है. ऐसे में नवालन्या के लिए राजनीतिक रूप से प्रासंगिक रहना मुश्किल हो सकता है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, रूसी सरकार से जुड़े कई सोशल मीडिया अकाउंट्स ने अभी से ही नवालन्या के बारे में ऐसी जानकारियां फैलाना शुरू कर दिया है, जिसे सहयोगी दुष्प्रचार मानते हैं.