रूस ने लगाया ब्रिटेन पर यूलिया स्क्रिपाल के अपहरण का आरोप
१२ अप्रैल २०१८
पूर्व रूसी जासूस सेर्गेई स्क्रिपाल की बेटी यूलिया को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है. उन्होंने रूस की मदद लेने से इंकार कर दिया है. रूस ने ब्रिटेन पर यूलिया स्क्रिपाल के अपहरण का आरोप लगाया है.
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बुधवार को ब्रिटिश पुलिस ने यूलिया स्क्रिपाल की ओर से बयान जारी किया, जिसमें कहा गया है कि उनके पिता अभी भी बहुत बीमार हैं और वे खुद भी नोविचोक नर्व एजेंट के असर से जूझ रही हैं. उन्होंने कहा, "मैं दोस्तों और परिवार के संपर्क में हूं और मुझे बताया गया है कि रूसी दूतावास में मुझे किससे संपर्क करना है. उन्होंने हर मुमकिन तरह से मेरी मदद करने का प्रस्ताव दिया है. फिलहाल मुझे उनकी सेवाओं की जरूरत नहीं है, लेकिन अगर कभी मेरा मन बदला, तो मुझे पता है कि कहां संपर्क करना है."
यूलिया रूसी नागरिक हैं और उनके होश में आने के बाद से लंदन स्थित रूसी दूतावास ने उनसे संपर्क करने की काफी कोशिश की है. दूतावास का अब कहना है कि उन्हें शक है कि यूलिया ने किसी दबाव में ऐसा बयान दिया है. रूस ने ब्रिटिश अधिकारियों पर यूलिया के अपहरण का आरोप लगाया है.
नर्व एजेंट की एबीसी
2018 में रूस के पूर्व जासूस सेरगेई स्क्रिपाल और उनकी बेटी पर नर्व एजेंट से हमला किया गया था. नर्व एजेंट आखिर होता क्या है और कैसे शरीर पर असर करता है?
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क्या होता है नर्व एजेंट?
नर्व एजेंट ऐसे जहरीले रसायन हैं जो सीधे नर्वस सिस्टम यानि तंत्रिका तंत्र पर असर करते हैं. ये दिमाग तक जाने वाले संकेतों को रोक देते हैं, जिससे शरीर ठीक तरह से काम करना बंद कर देता है. इसका असर सबसे पहले मांसपेशियों पर लकवे के रूप में देखने को मिलता है.
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कैसा दिखता है?
यह पाउडर के रूप में भी होते हैं और गैस के भी, लेकिन ज्यादातर द्रव का इस्तेमाल किया जाता है, जो भाप बन कर उड़ जाता है. अक्सर यह गंधहीन और रंगहीन होता है, इसलिए किसी तरह का शक भी नहीं होता.
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कैसे दिया जाता है?
यह भाप अगर सांसों के साथ शरीर के अंदर पहुंचे, तो कुछ सेकंडों में ही अपना असर दिखा सकती है. कई बार द्रव को त्वचा के जरिये शरीर में भेजा जाता है. ऐसे में असर शुरू होने में कुछ मिनट लग जाते हैं.
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कैसा होता है असर?
नर्व एजेंट के संपर्क में आने वाले व्यक्ति को फौरन ही सांस लेने में दिक्कत आने लगती है. आंखों की पुतलियां सफेद हो जाती हैं, हाथ-पैर चलना बंद कर देते हैं और व्यक्ति कोमा में पहुंच जाता है. ज्यादातर मामलों में कुछ मिनटों में ही व्यक्ति की मौत हो जाती है.
जहर देने के तरीके
कई बार इन्हें खाने में या किसी ड्रिंक में मिला कर दिया जाता है. लेकिन ऐसे में असर देर से शुरू होता है. ऐसे भी मामले देखे गए हैं जब इन्हें सीधे व्यक्ति पर स्प्रे कर दिया गया हो. इससे वे सीधे त्वचा के अंदर पहुंच जाते हैं.
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क्या है इलाज?
जहर को जहर काटता है. इसके असर को कम करने के लिए एक एंटीडोट दिया जा सकता है लेकिन जरूरी है यह जल्द से जल्द दिया जाए. एंटीडोट देने से पहले यह पता लगाना भी जरूरी है कि किस प्रकार का नर्व एजेंट दिया गया है.
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किस प्रकार के होते हैं?
नर्व एजेंट को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. जी-एजेंट, वी-एजेंट और नोविचोक. शुरुआत 1930 के दशक में हुई जब सस्ते कीटनाशक बनाने के चक्कर में एक घातक जहर का फॉर्मूला तैयार हो गया और यह जर्मन सेना के हाथ लग गया.
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क्या है जी-एजेंट?
'जी' इसलिए क्योंकि यह जर्मनी में बना. 1936 में सबसे पहला जी-एजेंट जीए बना. उसके बाद जीबी, जीडी और जीएफ तैयार किए गए. जीबी को ही सारीन के नाम से भी जाना जाता है. अमेरिका युद्ध की स्थिति में रासायनिक हथियार के रूप में इसका इस्तेमाल कर चुका है.
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क्या है वी-एजेंट?
दूसरे विश्व युद्ध के बाद रूस, अमेरिका और ब्रिटेन ने भी नर्व एजेंट बनाना शुरू किया. ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने 1950 के दशक में वीएक्स तैयार किया. वीएक्स के अलावा वीई, वीजी, वीएम और वीआर भी हैं लेकिन वीएक्स सबसे घातक है.
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क्या है नोविचोक?
रूसी भाषा में नोविचोक का मतलब है नया. इन्हें 70 और 80 के दशक में सोवियत संघ में बनाया गया था. इनमें से एक ए-230, वीएक्स की तुलना में पांच से आठ गुना ज्यादा जहरीला होता है और मिनटों में जान ले सकता है.
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कैसे ट्रांसपोर्ट होते हैं?
यह इतने जहरीले होते हैं कि इन्हें ले जाने वाले पर भी खतरा बना रहता है. जरा सा संपर्क भी जानलेवा साबित हो सकता है. इसलिए इनके लिए खास तरह की शीशी का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे कस कर बंद किया जाता है. साथ ही ट्रासंपोर्ट करने वाला खास तरह के कपड़े भी पहनता है.
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कहां से आया?
नर्व एजेंट कोई आम जहर नहीं है जिसे घर पर बना लिया जाए. यह सैन्य प्रयोगशालाओं में बनाया जाता है और हर एक फॉर्मूले में थोड़ा बहुत फर्क होता है. इसलिए हमले के मामले में पता किया जाता है कि फॉर्मूला कौन से देश का है. इसके अलावा जिस शीशी या कंटेनर में जहर लाया गया, उसकी बनावट से भी पता किया जाता है.
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कितना असरदार?
नर्व एजेंट के हमले के बाद बचने की संभावना बहुत ही कम होती है. हालांकि खतरा कितना ज्यादा है, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि जहर किस मात्रा में दिया गया है.
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एक बयान जारी कर रूस ने कहा है, "उनके टेक्स्ट को खास तरह से लिखा गया है, ताकि ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा दिए गए आधिकारिक बयानों का समर्थन किया जा सके और साथ ही यूलिया को बाहरी दुनिया में किसी से भी संपर्क बनाने से रोका जा सके, भले ही वकील हों, पत्रकार या फिर रिश्तेदार." बयान में आगे कहा गया है, "यह दस्तावेज केवल हमारे शक को और मजबूत करता है कि हम रूसी नागरिक के जबरन अपहरण की स्थिति से निपट रहे हैं."
यूलिया स्क्रिपाल को सोमवार से सॉल्सबरी के अस्पताल से छुट्टी दी गई. इसके बाद उन्हें एक गुप्त जगह पर ले जाया गया है. उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ब्रिटेन की सरकार ने उनकी लोकेशन को सार्वजनिक ना करने का फैसला किया है. यूलिया ने कहा कि वे अभी भी कमजोर हैं और इस हालत में नहीं हैं कि मीडिया को इंटरव्यू दे सकें.
हाल ही में उनकी एक कजन ने रूसी मीडिया से बात की थी. इस पर उन्होंने कहा कि कोई भी उनकी ओर से बयान देने का हक नहीं रखता. उन्होंने कहा, "मैं इस बात पर जोर देना चाहती हूं कि कोई भी मेरे या मेरे पिता के लिए बात नहीं करेगा. अगर करेंगे, तो हम खुद करेंगे. मैं अपनी कजन विक्टोरिया का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं कि उसे हमारी चिंता है लेकिन मैं उससे कहना चाहूंगी कि फिलहाल वह मुझसे मिलने ना आए और ना ही किसी भी तरह मुझसे संपर्क बनाने की कोशिश करे."
कहां कहां इस्तेमाल हुए रासायनिक हथियार
अक्सर युद्ध की स्थिति में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के बारे में सुनने को मिलता है. जंग के अलावा इनका इस्तेमाल किसी ना किसी साजिश के तहत भी होता रहा है. जानिए कब और कहां इस्तेमाल हुए रासायनिक हथियार.
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सीरिया
साल 2012 से सीरिया में कई बार रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया जा चुका है. इनमें सारीन, क्लोरीन और मस्टर्ड गैस शामिल हैं. सबसे ताजा हमला पूर्वी गूटा प्रांत के डूमा शहर में हुआ है. 7 अप्रैल 2018 को हुए इस हमले में 70 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. अमेरिका ने रूस को इस हमले के लिए जिम्मेदार बताया है.
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सेर्गेई स्क्रिपाल
4 मार्च 2018. पूर्व रूसी जासूस सेर्गेई स्क्रिपाल और उनकी बेटी यूलिया को इंग्लैंड के सैलिसबरी इलाके में एक बेंच पर बेहोश पाया गया. जांच के दौरान पता चला कि उन पर नर्व एजेंट से हमला किया गया था, जो संभवतः उनके घर के दरवाजे पर रखा गया था. इस हमले के बाद से रूस और ब्रिटेन के रिश्तों में काफी खटास आई.
किम जोंग नाम
13 फरवरी 2017. मलेशिया के क्वालालम्पुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दो महिलाएं वीएक्स नर्व एजेंट से एक व्यक्ति पर हमला करती हैं. 15 से 20 मिनट के बीच इस व्यक्ति की जान चली जाती है. यह शख्स था उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन का सौतेला भाई किम जोंग नाम. माना जाता है कि किम जोंग उन ने ही इस हत्या की साजिश रची.
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आलेक्सांडर लित्विनेंको
1 नवंबर 2006. पूर्व रूसी जासूस आलेक्सांडर लित्विनेंको अचानक ही बीमार हुए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. तीन हफ्ते बाद उनकी मौत हो गई. जांच में पता चला कि उनकी चाय में रेडियोधर्मी पोलोनियम 210 मिलाया गया था. पहली बार किसी पर इस जहर का इस्तेमाल किया गया था. रूस इसमें अपना हाथ होने से इंकार करता है.
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टोक्यो
20 मार्च 1995. टोक्यो मेट्रो में पांच हमले किए गए. मेट्रो की तीन लाइनों में नर्व एजेंट सारीन से भरे थैले छोड़े गए. इसमें 12 लोगों की जान गई, 50 घायल हुए और एक हजार लोगों की देखने की क्षमता चली गई. इसे जापान में घरेलू आतंकवाद का अब तक का सबसे संगीन मामला माना जाता है.
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रूसी दूतावास ने यूलिया के पूरे बयान की चीरफाड़ कर हर शब्द का मतलब समझाने की कोशिश की है. रूस का कहना है कि उसे शक है कि अपने बयान के विपरीत, यूलिया किसी भी दोस्त या रिश्तेदार के संपर्क में नहीं है और ना ही रूस के पास ऐसी कोई जानकारी है, जो यूलिया के बाहरी दुनिया से संपर्क की पुष्टि कर सके.
सेर्गेई स्क्रिपाल और उनकी बेटी यूलिया को 4 मार्च को ब्रिटेन में अपने घर के पास एक पार्क में मूर्छित अवस्था में पाया गया था. जांच में पता चला कि उन पर नर्व एजेंट नोविचोक से हमला किया गया था. इस हमले के बाद रूस और ब्रिटेन के रिश्तों में खटास आ गई. ब्रिटेन समेत अन्य कई पश्चिमी देशों ने रूस के करीब 150 राजनयिकों को निकाल दिया. हालांकि रूस हमले में अपना हाथ होने की बात से लगातार इनकार करता रहा है.
आईबी/एमजे (रॉयटर्स, एपी)
इन देशों ने निकाले रूसी राजनयिक
ब्रिटेन में पूर्व रूसी जासूस और उनकी बेटी को जहर देने के मामले में यूरोप के कई देशों ने रूस के राजनयिकों को निकाल दिया है. अमेरिका और कनाडा ने भी ऐसे कदम उठाए हैं. जानिए किस देश ने कितने राजनयिकों को निष्कासित किया.
तस्वीर: picture-alliance/empics/T. Ockenden
ब्रिटेन
पूर्व रूसी जासूस को ब्रिटेन में ही जहर दिया गया. ब्रिटेन सरकार ने रूस से इस पर सफाई मांगी लेकिन रूस ने जवाब देने से इंकार कर दिया. इसके बदले में ब्रिटेन ने 23 रूसी राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया.
तस्वीर: Reuters/T. Melville
अमेरिका
रूस के साथ खराब रिश्तों के इतिहास वाले अमेरिका ने जल्द ही ब्रिटेन का साथ देने का फैसला किया और 60 राजनयिकों को देश से निकालने की घोषणा की. इतना ही नहीं, सीएटल में रूसी कॉन्सुलेट को भी बंद कर दिया गया है.
तस्वीर: Reuters/L. Millis
यूक्रेन
पड़ोसी देश यूक्रेन के भी रूस के साथ लंबे मतभेद हैं. यहां 13 राजनयिकों को निष्कासित करने की घोषणा की गई. राष्ट्रपति पेत्रो पोरोशेंको ने कहा कि रूस ना केवल स्वतंत्र राज्यों की संप्रभुता को खारिज कर रहा है, बल्कि इंसानी मूल्यों को भी.
तस्वीर: Reuters/G. Garanich
जर्मनी
चार राजनयिकों को निकालने की घोषणा करने के साथ जर्मनी ने कहा कि रूस ने अब तक हमले को लेकर कोई सफाई नहीं दी है, "हम भी ब्रिटेन के साथ एकजुटता दिखाना चाहते हैं."
तस्वीर: Reuters/F. Lenoir
यहां से चार
फ्रांस, पोलैंड और कनाडा ने कहा है कि वे भी जर्मनी की ही तरह चार राजनयिकों को निष्कासित करेंगे. जर्मनी में जहां लगभग हर पार्टी ने सरकार के फैसले का समर्थन किया है, वहीं ग्रीन पार्टी ने चेतावनी दी है कि इस तरह के कदम से दुनिया एक बार फिर शीत युद्ध की स्थिति में पहुंच जाएगी.
तस्वीर: Reuters/F. Lenoir
यहां से तीन
चेक गणराज्य और लिथुएनिया ने तीन तीन राजनयिकों के निष्कासन की बात कही है. यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डॉनल्ड टस्क ने कहा है कि आने वाले दिनों में ईयू फ्रेमवर्क के तहत रूस पर अन्य प्रतिबंध भी लगाए जा सकते हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/E. Dunand
यहां से दो
इटली, डेनमार्क, स्पेन और नीदरलैंड्स से दो दो रूसी राजनयिकों को निष्कासित किया जाएगा. ऑस्ट्रेलिया पहले ही दो राजनयिकों को निकाल चुका है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/J. Soriano
यहां से एक
एस्टोनिया, लातविया, स्वीडन, रोमानिया, क्रोएशिया, अल्बानिया और हंगरी एकजुटता दिखाते हुए एक एक राजनयिक को रूसी निष्कासित कर रहे हैं. कुल मिला कर 20 देश अब तक रूस के खिलाफ यह कदम उठा चुके हैं.
लक्जमबर्ग
इस यूरोपीय देश ने भी रूस से अपने राजदूत को वापस बुलाने की घोषणा की है.
तस्वीर: DW/K. Danetzki
निष्कासन के खिलाफ
ऑस्ट्रिया ने यूरोपीय संघ के देशों के फैसले का साथ ना देने का निर्णय लिया है. चांसलर सेबास्टियान कुर्त्स ने इस बारे में कहा, "हम संपर्क जोड़ने वाला बनना चाहते हैं और रूस के साथ बातचीत के रास्ते को खुला रखना चाहते हैं."