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जाम्बिया की विभाजित हाईवे परियोजना को लेकर विवाद

७ अप्रैल २०२३

लुसाका-एन्डोला सड़क के पुनर्निर्माण का ठेका एक चाइनीज कंसोर्शियम को दिया गया है. हालांकि, इस घोषणा ने लोगों को चौंका दिया है कि इस मल्टीमिलियन डॉलर परियोजना के लिए जाम्बिया के दो पेंशन फंड्स से धन मुहैया कराया जाएगा.

जाम्बिया
जाम्बिया का एक बाजारतस्वीर: Emica Elvedji/PIXSELL/picture alliance

जाम्बिया की सरकार ने 327 किमी लंबी उस सड़क को एक विभाजित हाईवे में फिर से बनाने की योजना की घोषणा की है जो राजधानी लुसाका को उत्तरी व्यावसायिक केंद्र न्डोला से जोड़ती है. इस परियोजना पर 577 मिलियन डॉलर खर्च होने की उम्मीद है.

लंबे समय से काम कर रही इस परियोजना को परिकल्पना सबसे पहले पूर्व राष्ट्रपति एडगर लुंगू ने की थी और तब इसकी अनुमानित लागत 1.2 बिलियन डॉलर थी. परियोजना की लागत बहुत ज्यादा होने के कारण लुंगू की काफी आलोचना हुई और जाम्बिया पर बढ़ते बाहरी कर्ज के कारण वो इसे समझने में नाकाम रहे.

पूर्व राष्ट्रपति एडगर लुंगूतस्वीर: Salim Dawood/AFP/Getty Images

पिछले साल, मौजूदा राष्ट्रपति हकाइंडे हिचिलेमा ने बकाया विदेशी कर्ज के दबाव के बाद चीन के बैंकों के 1.6 बिलियन डॉलर के कर्ज को निरस्त कर दिया. सड़क के पुनर्निर्माण के लिए खर्च होने वाला पैसा भी इसी कर्ज का हिस्सा था.

सड़क परियोजना के लिए कोई बाहरी कर्ज नहीं

इसके बजाय, जाम्बिया ने अब एक नए वित्तीय मॉडल को चुना है- एक पब्लिक-प्राइवेट भागीदारी. जाम्बिया के वित्त मंत्री सितुम्बेको मुसोकोत्वाने कहते हैं, "इस सड़क के लिए हम एक भी पैसा कर्ज नहीं लेने जा रहे हैं.”

बाद में उन्होंने घोषणा की कि इस सड़क परियोजना का ठेका चाइनीज कंसोर्शियम मैक्रो ओशन इंवेस्टमेंट को दिया गया है जो कि इस सड़क का पुनर्निर्माण, प्रबंधन और देखरेख करेगी.

मैक्रो ओशन इंवेस्टमेंट कंसोर्शियम में उपकरण बनाने वाली कंपनी एवीआईसी इंटरनेशनल प्रोजेक्ट इंजीनियरिंग, सड़क निर्माण में विशेषज्ञता रखने वाली झीजैंग कम्युनिकेशंस कॉन्स्ट्रक्शन ग्रुप और चाइना रेलवे सेवेन्थ ग्रुप शामिल हैं.

मुसोकोत्वाने ने ये भी कहा कि जाम्बिया के दो पेंशन फंड्स मैक्रो ओशन इंवेस्टमेंट को धन प्रदान करेंगे. माना जा रहा है कि इस साझेदारी से तीन साल की निर्माण अवधि के बाद 22 साल की रियायत के तहत निवेश की वसूली हो जाएगी.

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इस स्थलरुद्ध देश के लिए यह सड़क सम्पर्क का सबसे प्रमुख जरिया है जहां से हर दिन दस हजार वाहन गुजरते हैं और जाम्बिया के उत्तर में कॉपरबेल्ट इलाके से तंजानिया के बंदरगाह तक लगभग सारे खनिज का निर्यात भी इसी रास्ते से होता है.

ट्रांसपोर्ट मंत्री फ्रैंक तयाली कहते हैं, "हम इसकी क्षमता को कम करके नहीं आंक सकते हैं क्योंकि यह इस देश के आर्थिक इंजन की प्रमुख धमनी है.”

लंबे समय तक रुके रहने के बावजूद जाम्बिया के तमाम लोगों ने इस घोषणा का स्वागत किया है. एंड्र्यू न्जोबू लुसाका में रहते हैं लेकिन मूल रूप से न्डोला के रहने वाले हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहते हैं, "मैं तो उस तरफ जाने से भी डरता हूं क्योंकि कॉपरबेल्ट में बहुत गड्ढे हैं.”

ऑटो इलेक्ट्रीशियन का काम करने वाले न्जोबू कहते हैं कि हाईवे के पूरा हो जाने पर इस पर सबसे पहले चलने वालों में से वो होंगे और पहले ही दिन न्डोला में रहने वाली अपनी मां से मिलने जाएंगे. न्जोबू को उम्मीद है कि इस विभाजित हाईवे का निर्माण पूरा हो जाने पर भीड़भाड़ और घातक दुर्घटनाओं में कमी आएगी.

सड़क परियोजना पर विवाद का साया

न्जोबू जैसे बहुत से लोग जहां इस परियोजना से खुश हैं वहीं राजनीतिक जगत में लोगों में काफी गुस्सा भी है. कई लोग सवाल पूछ रहे हैं कि जब इस परियोजना के लिए जाम्बियन पेंशन फंड्स पैसा दे रही हैं तो इसका ठेका एक विदेशी कंपनी को क्यों दिया गया है.

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एलिक म्वुला म्यूजिक कंपोजर हैं और कित्वे के कॉपरबेल्ट शहर में रहते हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहते हैं, "मुझे लगता है कि हमने चीन को थका दिया है. सड़क बननी चाहिए लेकिन इसे स्थानीय लोगों को बनाना चाहिए. हमें अब जाम्बियन कंपनियों को प्रोत्साहित करना चाहिए. मुझे लगता है कि जाम्बिया में कई कंपनियां हैं जो सडक बनाने के साथ पर्यवेक्षण में भी मदद कर सकती हैं.”

निर्माण के बाद, चाइनीज कंसोर्शियम 22 साल तक इस सड़क से टोल फीस वसूल करेगी. विपक्षी राजनीतिक दल के नेता कसोन्डे म्वेंडा कहते हैं, "इस दौरान, हमारा देश उस पैसे को वसूल करने का मौका गंवा बैठेगी जिसका इस्तेमाल अस्पताल, स्कूल और कृषि क्षेत्र में किया जा सकता है.”

उन्हें लगता है कि टोल वसूलने की जो समयसीमा रखी गई है वो बहुत ज्यादा है. वो कहते हैं, "सड़कें खराब भी होंगी और फिर उन्हें ठीक करने में पैसा भी लगेगा. यह तो अपराध है. सिर्फ 12 साल में ही यह कंपनी अपने निवेश को वसूल कर लेगी और फिर 1.5 बिलियन डॉलर अतिरिक्त कमाई की होगी.”

लुसाका के व्यवसायी सुज्गो म्बाले भी बहुत गुस्से में हैं. वो कहते हैं, "हमें किसी सड़का का निजीकरण क्यों करना चाहिए यदि हम सड़क के लिए खुद ही भुगतान कर रहे हैं?”

इस सौदे के विरोध में विपक्षी नेताओं ने हाल ही में विरोध प्रदर्शन भी किया था जिसमें पुलिस ने 23 लोगों को हिरासत में लिया था.

रिपोर्ट: ग्लोरी मुशिंगे

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