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वो शांति फॉर्मूला, जिसमें मोदी की मदद चाहते हैं जेलेंस्की

२७ दिसम्बर २०२२

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की चाहते हैं कि रूस के साथ युद्ध समाप्त करने में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमिका निभाएं.

वोलोदिमीर जेलेंस्की
वोलोदिमीर जेलेंस्कीतस्वीर: Ukrainian Presidency/abaca/picture alliance

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर हुई बातचीत में यूक्रेनी राष्ट्रपति ने शांति फॉर्मूला लागू करने वाले में उनकी मदद मांगी है. जेलेंस्की ने जी20 के मंच को अपने शांति फॉर्मूले की घोषणा के तौर पर इस्तेमाल किया था और भारत इस संगठन का नया अध्यक्ष है. उन्होंने ट्वीट किया, "अब मैं उम्मीद कर रहा हूं कि भारत इसे लागू करने में अपनी भूमिका निभाए.”

जेलेंस्की ने भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र में समर्थन और मानवीय मदद के लिए नरेंद्र मोदी का धन्यवाद भी किया. वह चाहते हैं कि शांति सम्मेलन में उनके फॉर्मूले पर बात हो. उनके फॉर्मूला में रूस द्वारा यूक्रेन से पूरी तरह वापसी की मांग की गई है.

इस युद्ध के दौरान भारत ने निष्पक्ष रहते हुए रूस और पश्चिमी देश, दोनों से ही संबंध बनाए रखे हैं. उसने रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों का समर्थन नहीं किया है लेकिन साथ ही रूस से बार-बार कहा है कि युद्ध रोकना और बातचीत करना ही समस्याओं को सुलझाने का तरीका है.

भारत रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है और सैन्य सप्लाई व हथियारों के लिए भी बहुत हद तक उसी पर निर्भर है.

भारत ने हाल ही में जी-20 की अध्यक्षता संभाली है. जेलेंस्की के साथ बातचीत में नरेंद्र मोदी ने बताया कि सबसे ताकतवर 20 देशों के इस संगठन के अध्यक्ष के तौर पर भारत की प्राथमिकताएं क्या हैं. उन्होंने कहा कि "खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा जैसे मुद्दों पर विकासशील देशों की चिंताओं को आवाज देना” इनमें शामिल हैं.

शांति सम्मेलन की मांग

यूक्रेन के विदेश मंत्री ने सोमवार को कहा कि उनका देश युद्ध खत्म करने के लिए शांति सम्मेलन चाहता है लेकिन उन्हें उम्मीद नहीं है कि रूस इसमें हिस्सा लेगा. यूक्रेनी विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने समाचार एजेंसी एपी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि उनकी सरकार दो महीने के भीतर एक शांति सम्मेलन चाहती है, जिसकी मध्यस्थता यूएन महासचिव अंटोनियो गुटेरेश करें.

यूएन ने इस मांग पर एक सधी हुई प्रतिक्रिया दी है. संस्था की प्रवक्ता फ्लोरेंसिया सोटो नीनो-मार्टिनेज ने कहा, "महासचिव ने पहले भी कई बार कहा है कि वह तभी मध्यस्थता कर सकते हैं जब सभी पक्ष ऐसा चाहें.”

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कुलेबा ने कहा कि उनका देश रूस से सीधी बातचीत तभी करेगा जब वह युद्ध अपराध ट्राईब्यूनल का सामना करेगा. हालांकि उन्होंने कहा कि जैसे तुर्की ने रूस के साथ समझौते के बारे में सीधी बातचीत की थी, उसी तरह दूसरे देश भी स्वतंत्र हैं.

एपी से बातचीत में कुलेबा ने बताया कि यूक्रेन के हिसाब से यह युद्ध किस तरह खत्म हो सकता है. हालांकि इससे यह भी जाहिर होता है कि किसी तरह के शांति समझौते में महीनों लग सकते हैं. कुलेबा ने कहा कि उनका देश 2023 में इस युद्ध को जीतने की भरपूर कोशिश करेगा.

उन्होंने कहा, "हर युद्ध कूटनीति से ही खत्म होता है. हर युद्ध मैदान और बातचीत की मेज पर उठाए गए कदमों से ही खत्म होता है.”

रूस ने क्या कहा?

कुलेबा के प्रस्ताव पर रूस ने भी टिप्पणी की है. रूसी सरकार के प्रवक्ता दमित्री पेश्कोव ने रूसी समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती से कहा कि रूस किसी अन्य द्वारा तय की गई शर्तों पर नहीं बल्कि अपनी समझ के आधार पर फैसले लेता है.

पिछले हफ्ते ही रूसी प्रवक्ता ने कहा था कि "आज की सच्चाई को नजरअंदाज करके” कोई यूक्रेनी शांति योजना तब तक सफल नहीं हो सकता. उनका इशारा इस बात की ओर था कि यूक्रेन क्रीमिया और अन्य इलाकों पर रूसी नियंत्रण को मान्यता दे दे.

कुलेबा ने कहा कि उनकी सरकार फरवरी के आखिर तक शांति वार्ता की उम्मीद रखती है. उन्होंने कहा, "संयुक्त राष्ट्र इस सम्मेलन के लिए सबसे अच्छी जगह हो सकती है क्योंकि यह किसी एक देश का पक्ष लेने की बात नहीं है. यह सभी को एक मंच पर लाने की बात है.”

क्या है शांति फॉर्मूला?

नवंबर में बाली में जी20 सम्मेलन हुआ था. उसमें जेलेंस्की ने अपना दस सूत्री शांति फॉर्मूला पेश किया था. इसमें यूक्रेन के सारे इलाकों की रूसी नियंत्रण से आजादी, रूसी फौजों की यूक्रेन से पूर्ण वापसी, सभी कैदियों की रिहाई, आक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए ट्राईब्यूनल का गठन और यूक्रेन के लिए सुरक्षा की गारंटी जैसी मांगें की गई हैं.

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अब यूक्रेन चाहता है कि एक शांति सम्मेलन के जरिए इस फॉर्मूले को लागू कराया जाए. जब कुलेबा से पूछा गया कि क्या वह इस सम्मेलन में रूस को आमंत्रित करेंगे तो उन्होंने कहा कि रूस को पहले तो युद्ध अपराधों के लिए अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में पेश होना होगा. कुलेबा ने कहा, "उन्हें इसी कदम के जरिए आमंत्रित किया जा सकता है.”

वैसे रूस ने बातचीत की इच्छा जाहिर की है लेकिन यूक्रेन उसे ज्यादा भाव नहीं देना चाहता. कुलेबा कहते हैं, "वे लोग बार-बार कहते हैं कि वे बातचीत को तैयार हैं लेकिन यह सच नहीं है क्योंकि वे लड़ाई के मैदान पर जो कर रहे हैं, वह एकदम उलटा है.”

पहले भी कई देशों ने मध्यस्थता की पेशकश की थी जिनमें तुर्की और सऊदी अरब शामिल हैं. हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि वह यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए बातचीत को तैयार हैं और यूक्रेनी ही हैं जो कदम उठाने को तैयार नहीं हैं. पुतिन की इस टिप्पणी के बावजूद यूक्रेन पर उनकी फौजों के हमले लगातार जारी हैं, जो शांति समझौते की राह में सबसे बड़े रोड़े के रूप में देखा जा रहा है.

रिपोर्टः वीके/एए (एपी, एएफपी, डीपीए)

 

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