कीव चाहता है जेलेंस्की-पुतिन की बात हो, रूस ने लगाई शर्तें
१७ मई २०२५
फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद 16 मई की बैठक पहला मौका था, जब रूस और यूक्रेन बातचीत की मेज पर आमने-सामने बैठे हों. पश्चिमी सैन्य गठबंधन 'नाटो' के सदस्य देश तुर्की ने इस्तांबुल में हुई इस बैठक में मेजबान की भूमिका निभाई. तुर्की के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी तस्वीरों में 'U' आकार की मेज पर दोनों पक्ष आमने-सामने नजर आए. बैठक के बाद रूस ने कहा है कि "मॉस्को नतीजों से संतुष्ट है." वहीं यूक्रेन ने रूस पर "अस्वीकार्य मांगें" रखने का आरोप लगाया. यह बैठक निचले स्तर की थी और इसमें यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शामिल नहीं थे. बैठक में 1,000 युद्ध बंदियों को छोड़ने पर सहमति बनी है.
जेलेंसकी ने यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगियों से कहा कि अगर इस्तांबुल में शुक्रवार को हो रही शांति वार्ता में कोई ठोस तरक्की नहीं होती, तो वे मास्को के खिलाफ ‘कड़ी प्रतिक्रिया' दिखाएं. अल्बानिया की राजधानी तिराना में यूरोपियन पॉलिटिकल कम्यूनिटी समिट में उन्होंने कहा, "अगर पुतिन तुर्की आने से डरते नहीं, तो हमारे पास इस जंग को खत्म करने के लिए अहम कदम उठाने का असली मौका था."
दरअसल, पुतिन की ओर से ही आमने-सामने बातचीत का प्रस्ताव था लेकिन वह तुर्की की बैठक में शामिल नहीं हुए. इसके बाद ही जेलेंस्की ने खुद बैठक में जाने के बजाय रक्षा मंत्री रुस्तम उमेरोव ने नेतृत्व में यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल भेजा. यूक्रेनी राष्ट्रपति ने कहा, "अगर ऐसा साबित होता है कि रूसी प्रतिनिधिमंडल सच में सिर्फ दिखावा कर रहा है और आज कोई नतीजा नहीं दे सकता... तो कड़ी प्रतिक्रिया जरूरी है, जिसमें रूस के ऊर्जा क्षेत्र और बैंकों पर प्रतिबंध भी शामिल हैं."
बैठक के बाद यूक्रेन ने क्या कहा
इस्तांबुल में रूसी प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के बाद यूक्रेनी दल के प्रमुख रुस्तम उमेरोव ने कहा कि उन्हें लगता है कि अगले दौर की बैठक यूक्रेन और रूस के राष्ट्रपतियों को शामिल करके होनी चाहिए. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि अगला कदम यह होगा कि नेताओं की स्तर की बैठक आयोजित की जाए."
वार्ता में शामिल एक यूक्रेनी राजनयिक सूत्र ने बताया कि रूसी वार्ताकारों ने यूक्रेन से वह इलाका छोड़ने की मांग की है, जो अभी भी कीव के नियंत्रण में है.
न्यूज एजेंसी एपी से बातचीत में सूत्र ने कहा, "रूसी प्रतिनिधि अस्वीकार्य मांगें रख रहे हैं... जैसे कि यूक्रेन को अपने कब्जे वाले बड़े हिस्सों से सेना हटाने के लिए कहा जा रहा है, ताकि संघर्षविराम शुरू हो सके."
पहचान जाहिर न करने की शर्त पर पत्रकारों से बात करने वाले इस राजनयिक ने कहा कि ऐसा लगता है रूसी प्रतिनिधिमंडल "जानबूझकर ऐसी बातें सामने रख रहा है जिन पर सहमति नहीं हो सकती, ताकि वे आज की बैठक से बिना किसी नतीजे के निकल जाएं."
सूत्रों के मुताबिक, मास्को ने कीव से मांग की है कि वह अपने सैनिकों को जापोरिज्जिया के दक्षिण और पूर्व इलाकों, खेरसोन, दोनेत्स्क और लुहांस्क इलाकों से हटा ले. यह इलाके आंशिक रूप से रूस के कब्जे में हैं. रूस ने सितंबर 2022 में इन इलाकों को पूरी तरह अपने में मिलाने का दावा किया था.
बैठक पर रूस का पक्ष
रूसी प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख व्लादिमीर मेदिन्स्की ने इस्तांबुल में वार्ता के बाद कहा, "मास्को परिणामों से संतुष्ट है और कीव से बातचीत जारी रखने के लिए तैयार है." उन्होंने आगे कहा, "यूक्रेनी पक्ष ने देशों के नेताओं (पुतिन और जेलेंस्की) के बीच सीधी वार्ता का अनुरोध किया. हमने इस अनुरोध पर गौर किया है."
मेदिन्स्की ने कहा कि रूस और यूक्रेन ने आने वाले दिनों में एक-दूसरे के एक हजार युद्धबंदियों की अदला-बदली पर सहमति जताई है, जो इस संघर्ष की शुरुआत के बाद सबसे बड़ी अदला-बदली में से एक है. उन्होंने कहा, "हमने सहमति जताई है कि हर पक्ष भविष्य के संभावित युद्धविराम का अपना नजरिया पेश करेगा और उसे विस्तार से बताएगा. ऐसा नजरिया पेश होने के बाद, हमें लगता है , जैसे कि सहमति बनी है, हमारा वार्ता जारी रखना उचित होगा."
शनिवार को क्रेमलिन ने बयान दिया है कि पुतिन-जेलेंस्की की बैठक हो सकती है अगर कुछ शर्तें पूरी हो जाएं. हालांकि रूस ने शर्तों के ब्योरे सार्वजनिक नहीं किए गए. क्रेमलिन ने कहा, "रूस की ओर से बैठक में रखी शर्तों पर टिप्पणी नहीं करेंगे, वार्ता बंद दरवाजों के पीछे ही होनी चाहिए."
यूरोपीय नेताओं का पक्ष
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने चेतावनी दी कि अगर रूस वार्ता की मेज पर नहीं आता है, तो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को 'इसकी कीमत चुकानी होगी.' वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने कहा, "पिछले कुछ घंटों ने दिखा दिया है कि रूस संघर्षविराम में दिलचस्पी नहीं रखता." माक्रों ने जोर दिया कि संघर्षविराम "अपने आप नहीं होगा, अगर यूरोपीय और अमेरिकी दबाव नहीं बढ़ाता है तो."
जर्मन चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स ने इस्तांबुल में यूक्रेन और रूस के प्रतिनिधियों की बैठक को "बहुत छोटा, लेकिन पहला सकारात्मक संकेत" बताया. उन्होंने कहा कि जर्मनी को "यूक्रेन के लिए अपनी सैन्य मदद भी बहुत साफ तौर पर दिखानी चाहिए." मैर्त्स ने कहा, "इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए कि हम अपनी मदद जारी रखने के लिए तैयार हैं."
जेलेंसकी ने कहा कि उन्होंने किएर स्टार्मर, इमानुएल माक्रों, फ्रीडरिष मैर्त्स और पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टुस्क के साथ मिलकर शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से बात की. बातचीत के बाद एक्स पर एक पोस्ट में जेलेंसकी ने कहा कि उनका देश "वास्तविक शांति लाने के लिए सबसे तेज कदम उठाने को तैयार है और यह जरूरी है कि दुनिया मजबूत रुख अपनाए."
यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लायन ने कहा, "हम दबाव बढ़ाएंगे" और यूरोपीय संघ रूस पर नए प्रतिबंधों पर काम कर रहा है.
यूक्रेन में ताजा हमला
उधर, यूक्रेनी प्रशासन ने बताया है कि शनिवार को यूक्रेन के उत्तर-पूर्वी सुमी इलाके में एक नागरिक बस पर रूसी हमले में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई है. इस हमले में पांच लोग घायल भी हुए.
वहीं यूक्रेन की सुरक्षा सेवा के एक सूत्र के हवाले से न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने जानकारी दी है कि यूक्रेनी ड्रोन ने रूसी कब्जे वाले क्रीमिया में एक गोला-बारूद डिपो पर हमला किया है जिससे ‘जबरदस्त धमाका' हुआ है. अभी तक रायटर्स ने इस रिपोर्ट की स्वतंत्र पुष्टि नहीं की है.
ऑस्ट्रेलियाई नागरिक को रूस ने सजा दी
इस बीच, शनिवार को ऑस्ट्रेलिया ने एक रूसी नियंत्रित अदालत के एक ऑस्ट्रेलियाई नागरिक को यूक्रेनी सेना के साथ लड़ने पर 13 साल की सजा सुनाए जाने की निंदा की है. ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वोंग ने इस फैसले को ‘फर्जी मुकदमा' करार दिया और कहा कि ऑस्कर जेंकिन्स को यूक्रेन की नियमित सेना के सदस्य होने के नाते अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत युद्धबंदी की तरह सम्मान मिलना चाहिए.
33 वर्षीय जेंकिन्स ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न से हैं और लुहांस्क इलाके में रूस द्वारा स्थापित एक अदालत ने उन्हें 'सशस्त्र संघर्ष में भाड़े का सैनिक' यानी मर्सिनरी होने का दोषी ठहराया है. जेंकिन्स को पिछले साल यूक्रेन की सेना में सेवाएं देते वक्त पकड़ा गया था.
रूस, यूक्रेन में लड़ने आने वाले विदेशियों को मर्सिनरी मानता है और उन्हें अपने आपराधिक कानून के तहत सजा देता है, ना कि जेनेवा कन्वेंशन के तहत अधिकार प्राप्त किसी युद्धबंदी की तरह.