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अर्थव्यवस्थाजिम्बाब्वे

जिम्बाब्वे ने सोने के सिक्कों को बनाया करेंसी

२६ जुलाई २०२२

सोना तो वह चीज है, जिसे रिजर्व में रखकर देशों में करेंसी छापी जाती है. जिम्बाब्वे में हालत यह हो गई है कि इसी को करेंसी बना दिया गया है.

Simbabwe führt Goldmünzen als Zahlungsmittel ein
जिम्बाब्वे में 2008 में मुद्रास्फीति इतनी बढ़ गई थी कि लोग अब तक करेंसी को लेकर आशंकित हैं.तस्वीर: Tsvangirayi Mukwazhi/AP/picture alliance

जिम्बाब्वे की करेंसी का भाव और सम्मान लगातार गिर रहा है. हालत यह हो गई है कि जिम्बाब्वे ने सोने का सिक्का चला दिया है. देश के केंद्रीय बैंक ने सोमवार को एलान किया कि जनता को सोने के सिक्के बेचे जा सकेंगे. इन सिक्कों से दुकानों पर खरीदारी की जा सकेगी.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक 2008 में जिम्बाब्वे की मुद्रास्फीति 5 अरब प्रतिशत हो गई थी. इसके बाद से ही मुद्रा पर लोगों का भरोसा कमजोर है. उन हालात की बुरी यादों के साथ जी रहे लोग अवैध रूप से अमेरिकी डॉलर हासिल करने की कोशिश करते हैं. हालांकि, अमेरिकी डॉलर बहुत महंगे हैं और बहुत कम उपलब्ध हैं, लेकिन लोग कोशिश करते हैं कि घर में बचत के रूप में अमेरिकी डॉलर ही रखा जाए. स्थानीय मुद्रा में तो भरोसा इतना कम है कि कई दुकानदार इसे लेने से ही इनकार कर देते हैं.

सोमवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर जॉन मांगुदया ने कहा कि सोने के सिक्कों की पहली खेप विदेश में तैयार की गई है, लेकिन बाद में इन्हें देश में ही बनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि दुकानों में सामान वगैरह खरीदने के लिए ये सिक्के इस्तेमाल किए जा सकेंगे.

जिम्बाब्वे के रिजर्व बैंक के गवर्नर जॉन मांगुदया सोने का नया छपा सिक्का दिखाते हुए.तस्वीर: Tsvangirayi Mukwazhi/AP/picture alliance

सिक्के खरीदने वालों के हाथ में क्या होगा

जिम्बाब्वे के अर्थशास्त्री प्रॉस्पर चितांबर ने कहते हैं कि सरकार अमेरिकी डॉलर की मांग पर काबू पाने की कोशिश कर रही है, क्योंकि मांग इतनी ज्यादा है कि उसे पूरा नहीं किया जा सका है. चितांबर ने कहा, "उम्मीद यह है कि स्थानीय मुद्रा की कीमत में गिरावट रोकने की भी कोशिश की जाएगी, क्योंकि चीजों की कीमतों में स्थिरता पर इसका कुछ असर होना चाहिए."

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केंद्रीय बैंक ने कहा है कि कोई व्यक्ति या कंपनी बैंकों जैसे आधिकारिक विक्रेताओं से सिक्के खरीद सकता है. इसके लिए स्थानीय या विदेशी करेंसी का प्रयोग किया जा सकता है और खरीददार तय कर सकते हैं कि वे इन सिक्कों को बैंक में रखना चाहते हैं या घर ले जाना चाहते हैं.

हरारे में बैंक के बाहर लोगों की कतार. यहां अर्थव्यवस्था बहुत बुरे दौर से गुजर रही है.तस्वीर: Tsvangirayi Mukwazhi/AP/picture alliance

मोसी-ओआ-टुन्या

स्थानीय टोंगा भाषा में इन सिक्कों को मोसी-ओआ-टुन्या कहा गया है, जो विक्टोरिया फॉल्स का नाम है. केंद्रीय बैंक ने कहा, "इन सिक्कों को लिक्विड एसेट माना जाएगा यानी इन्हें कैश में बदला जा सकता है और राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खरीदा-बेचा जा सकता है. इनका इस्तेमाल लेन-देन में भी किया जा सकता है." हालांकि कैश में बदलने के लिए खरीदने के बाद छह महीने का इंतजार करना होगा.

22 कैरट सोने से बने ये सिक्के कर्ज और क्रेडिट के लिए सिक्यॉरिटी के तौर पर भी इस्तेमाल किये जा सकते हैं. इन सिक्कों की कीमत तय करने के लिए एक प्रक्रिया बनाई गई है. इसके तहत अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक आउंस सोने की कीमत में पांच फीसदी बनाई भी जोड़ी जाएगी. सोमवार को जब यह सिक्का बाजार में उतारा गया तो उसकी कीमत 1824 अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 15 हजार रुपये थी.

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चीन, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में भी सोने के सिक्कों का इस्तेमाल मुद्रास्फीति पर दांव लगाने में होते है. लोग इन्हें निवेश के रूप में खरीदते हैं लेकिन इनका करेंसी के रूप में दुनिया इतना प्रयोग नहीं होता. चितांबर ने कहा, "जिम्बाब्वे में हम लगातार अति-मुद्रास्फीति की स्थिति में हैं इसलिए उम्मीद है कि इन सिक्कों को लोग हाथोंहाथ लेंगे. हालांकि आम आदमी के लिए इनका बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं है, खासकर अगर आपके बहुत ज्यादा कैश नहीं है तो. बहुत से लोगों के पास तो रोटी खरीदने के पैसे नहीं हैं, बचत की तो बात ही छोड़ दीजिए."

वीके/सीके (एपी)

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