जिस जूम के सहारे दुनियाभर की कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम चल रहा है, उसने अपने कर्मचारियों को दफ्तर आकर काम करने का आदेश दिया है.
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‘वर्क फ्रॉम होम‘ का नाम लेते ही जिस कंपनी जूम का जिक्र आता है, उसने अपने कर्मचारियों को दफ्तर से काम करने का आदेश दिया है. बीबीसी के मुताबिक जूम ने अपने कर्मचारियों को ‘हाइब्रिड फॉर्मैट' में काम करने को कहा है. यानी लोग कुछ दिन घर से काम कर सकते हैं और कुछ दिन के लिए उन्हें दफ्तर आना होगा.
एक बयान में जूम ने कहा कि काम का यह मिला-जुला तरीका सबसे प्रभावशाली रहता है और दफ्तर के 80 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले स्टाफ को हफ्ते में कम से कम दो दिन दफ्तर से काम करना चाहिए.
जूम मीटिंग की चालाकियां
पिछले दो साल लोगों ने घर से काम तो किया लेकिन वीडियो कॉल से जुड़ीं कई चकमा देने वाली तरकीबें भी सीख लीं हैं. एक्सएमएल मीडिया के एक सर्वे में जूम कॉल के बारे में कई दिलचस्प बातें सामने आईं.
तस्वीर: ROBIN UTRECHT/picture alliance
जूम पर रौब दिखाने के लिए
दो तिहाई लोग कहते हैं कि वीडियो कॉल के दौरान वे अपने कंप्यूटर का कैमरा ऐसे ऐंगल पर रखते हैं जिससे वे ज्यादा रौबदार नजर आएं.
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हेल्दी दिखने के लिए
लगभग एक चौथाई लोगों ने कहा कि उन्होंने जानबूझ कर एक्सरसाइज करते हुए जूम मीटिंग में हिस्सा लिया ताकि वे अनुशासित और सेहत के लिए जागरूक दिखें.
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ऊपर फॉर्मल, नीचे कैजुअल
82 फीसदी लोगों ने कहा कि वे ज्यादा औपचारिक नजर आने के लिए शरीर के ऊपरी हिस्से पर फॉर्मल कपड़े पहनकर जूम मीटिंग में आए, जबकि नीचे उन्होंने आम घरेलू कपड़े पहने थे
तस्वीर: Hildegardis-Verein/Agathe Lukassek
इंप्रेस करने के लिए बैकग्राउंड
86 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे बहुत सोच-समझकर अपनी बैकग्राउंड चुनते हैं ताकि अच्छा प्रभाव पड़े.
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बस दिखना चाहिए
लगभग 54 प्रतिशत लोगों ने कहा कि जूम मीटिंग के दौरान वे सिर्फ इसलिए कुछ बोलते हैं ताकि लगे कि वे ध्यान दे रहे हैं.
एक तिहाई लोगों ने कहा कि वे ठीक होने के बावजूद जूम मीटिंग में यह कहते हुए शामिल हुए कि उनकी तबीयत खराब है, ताकि लगे कि वे काम को लेकर कितने प्रतिबद्ध हैं.
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बिजी दिखाने के लिए
56 फीसदी लोगों ने कहा कि जूम मीटिंग के दौरान वे दूसरी झूठी मीटिंग में जाने का बहाना करते हैं ताकि लोगों को लगे कि वे काफी व्यस्त हैं.
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जूम का ऐलान उसी सिलसिले की अगली कड़ी है, जिसके तहत दुनिया की कई बड़ी कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम सुविधा में कटौती की है. इससे पहले एमेजॉन और डिज्नी जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां घर से काम करने के दिनों में कमी कर चुकी हैं. एक बार जूम ने कहा था कि उसके कर्मचारी पूरी तरह घर से काम कर पाएंगे. लेकिन नयी नीति में जूम ने कहा कि अगस्त और सितंबर से नयी व्यवस्था लागू हो जाएगी.
घर से काम करना चाहते हैं लोग
फिलहाल अमेरिका में काफी लोग घर से ही काम कर रहे हैं. जुलाई में स्टैन्फर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण में पता चला कि 12 फीसदी कर्मचारी पूरी तरह घर से काम कर रहे थे, जबकि 29 प्रतिशत ने हाइब्रिड सिस्टम में काम किया, यानी कुछ दिन घर से काम किया और कुछ दिन वे दफ्तर गये. अन्य देशों में हुए सर्वेक्षणों में भी करीब-करीब ऐसे ही नतीजे मिले थे. ऑस्ट्रेलिया में पिछले महीने ही सरकार ने अपने कर्मचारियों को घर से पूरी तरह काम करने का अधिकार दिया था.
हालांकि बहुत से सर्वेक्षणों के नतीजे दिखाते हैं कि ज्यादातर लोग घर से काम करना चाहते हैं और उनकी कार्यक्षमता पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है. लेकिन अंग्रेजी भाषी देशों में यह ज्यादा कामयाब रहा है. स्टैन्फर्ड के सर्वेक्षण के मुताबिक एशिया और यूरोप की तुलना में अंग्रेजी भाषी देशों में ज्यादा लोग घर से काम करते हैं.
सर्वे: दुनिया भर के कर्मचारी घर से काम करना चाहते हैं
27 देशों की 36,000 प्रतिक्रियाओं से आए नतीजों के मुताबिक कर्मचारी घर से काम के घंटे बढ़ाना चाहते हैं. हालांकि, कंपनियां और उनके बॉस अपने कर्मचारियों को दफ्तर में अधिक देखना चाहते हैं.
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लुभा रहा है वर्क फ्रॉम होम
एक अंतरराष्ट्रीय शोध के परिणामों के मुताबिक दुनिया भर में घर से काम करने वाले कर्मचारियों की इतनी संख्या पहले कभी नहीं देखी गई. ऐसे कर्मचारी घर से काम करने के अपने मौजूदा घंटों को भी बढ़ाना चाह रहे हैं.
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27 देशों में किया गया सर्वे
जर्मनी की आईएफओ इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक रिसर्च द्वारा प्रकाशित सर्वेक्षण के मुताबिक 27 देशों के सभी उद्योगों और क्षेत्रों के कर्मचारियों ने प्रति सप्ताह औसत डेढ़ दिन घर से काम किया.
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जर्मनों में कितना काम घर से किया गया
जर्मनी में कोरोना की ढाई साल लंबी वैश्विक महामारी के दौरान वर्क फ्रॉम होम का औसत समय इस सर्वेक्षण के परिणामों से थोड़ा कम है, यानी प्रति सप्ताह 1.4 दिन.
इस सर्वे के मुताबिक फ्रांस में वर्क फ्रॉम होम की अवधि 1.3 दिन, अमेरिका में 1.6 और जापान में 1.1 दिन है. आईएफओ शोधकर्ता और वर्क फ्रॉम होम अध्ययन के सह-लेखक माथियाज डोल्ज के मुताबिक, "जिस तरह कोरोना वायरस महामारी ने बहुत कम समय में काम और जीवन को उल्ट पुलट कर दिया, इससे पहले ऐसी कोई घटना नहीं हुई."
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कुछ उद्योगों में घर से काम करना असंभव
जर्मन शोधकर्ताओं ने स्टैनफोर्ड और प्रिंसटन विश्वविद्यालयों समेत अमेरिका, ब्रिटेन और मेक्सिको में पांच अन्य शोध संस्थानों के सहयोग से यह सर्वेक्षण किया है. डोल्ज के मुताबिक इस अध्ययन के परिणाम औसत मूल्यों पर आधारित हैं, क्योंकि कुछ उद्योगों में घर से काम करना बिल्कुल भी संभव नहीं है.
तस्वीर: Stanislav Krasilnikov/TASS/picture alliance
घर से काम करना पसंद
सर्वेक्षण से पता चला कि एक और अंतरराष्ट्रीय समानता यह है कि कर्मचारी अपने बॉस की तुलना में घर से काम करना पसंद करते हैं. सर्वेक्षण किए गए सभी 27 देशों में औसतन 36,000 उत्तरदाता सप्ताह में 1.7 दिन घर से काम करना चाहते थे.
यह सर्वे ब्रिटिश मार्केट रिसर्च इंस्टीट्यूट 'रेस्पोंडी' द्वारा किया गया था. समायोजन के बाद सर्वेक्षण के परिणाम लगभग 36,000 प्रतिक्रियाओं पर आधारित हैं. दो चरणों का सर्वेक्षण 2021 की गर्मियों में और इस साल जनवरी और फरवरी के महीनों में किया गया था.
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कोविड महामारी में काम करने की व्यवस्था पूरी तरह बदल गयी. उससे पहले अमेरिका में सिर्फ 5 प्रतिशत लोग घर से काम करते थे.
जूम की हालत कमजोर
जूम के पास लगभग 8,400 कर्मचारी हैं जिनमें से आधे अमेरिका में हैं. हाल ही में लंदन में उसने अपना नया दफ्तर खोला है. युनाइटेड किंग्डम में जूम के लगभग 200 कर्मचारी हैं.
बिजनेस इनसाइडर में छपी खबर के मुताबिक जूम का मानना है कि नयी नीति से कंपनी "अपनी तकनीकों का बेहतर इस्तेमाल कर पाएगी और अपने दुनियाभर में फैले ग्राहकों की मदद के अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए और नये विकास कर सकेगी.”
जूम ने कहा, "हम अपने कर्मचारियों और जगह-जगह फैली अन्य टीमों को जोड़े रखने के लिए व पूरी क्षमता से काम करने क लिए जूम प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल जारी रखेंगे.”
वर्क फ्रॉम होम या कामचोरी? बॉस को क्या लगता है
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सितंबर 2022 में जूम के सिर्फ एक फीसदी कर्मचारी दफ्तर से काम कर रहे थे, जबकि 75 फीसदी ने पूरी तरह घर से काम किया था. बाकी लोग हाइब्रिड व्यवस्था में काम कर रहे थे. लेकिन तब से जूम की वित्तीय स्थिति काफी कमजोर हुई है. अब जूम के शेयर की कीमत 68 डॉलर के आसपास है जबकि अक्टूबर 2020 में यह 500 डॉलर पर बिक रहा था.
माइक्रोसॉफ्ट आदि अन्य कंपनियों ने भी जूम जैसी सेवाएं शुरू कर दी हैं, जिससे बाजार में प्रतिद्वन्द्विता खासी बढ़ गयी है. इसी साल की शुरुआत में जूम ने 15 फीसदी कर्मचारियों की छंटनी की थी जबकि उच्च पदों पर बैठे अफसरों की तन्ख्वाहों में कमी की गयी थी.